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* प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित
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लोप २-८६ से शेष रहे हुए 'ड' को द्वित्व 'ड' की प्राप्तिः ३ २५ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में थकारान्त नपुंसक लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर मू' प्रत्यय की प्राप्ति और १-२३ मे प्राप्त 'म्' का अनु स्वार होकर कुरूप सिद्ध हो जाता है।
व्याधः संस्कृत रूप हैं । इसका प्राकृत रूप वाही होता है। इसमें सूत्र संख्या से 'य्' का लोप १ १८७ से 'व' के स्थान पर 'ह' की प्राप्ति और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'श्री' प्रत्यय की प्राप्ति होकर वाही रूप सिद्ध हो जाता है ।। २७८ ॥
सर्वत्र ल ब - रामवन्द्रे ॥ २७६ ॥
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चन्द्र शब्दादन्यत्र लबरां सर्वत्र संयुक्तस्योर्ध्वमवश्व स्थितानां लुग्भवति ॥ ऊध्यं ॥ ल | उल्का | उक्का । वल्कलम् | बक्कलं ॥ ब | शब्दः सदो ॥ श्रब्दः । श्रद्द || लुब्धकः 1 लोड || अर्कः । श्रकी ॥ वर्गः कन्यो । अथः । श्लक्ष्णम् । सहं । विक्लवः । विक्कत्रो ।। पक्वम् । पक्कं पिक्कं ॥ ध्वस्तः । धत्यो | चक्रम् | चक्क || ग्रहः | गही || रात्रिः रती || अत्र द्व इत्यादि संयुक्तानामुभयप्राप्तां यथा दर्शनं लोपः ॥ कचिदूर्ध्वम् । उद्विग्नः । विगो || द्विगुणः । वि उणो । द्वितीयः । वीओ | कन्मपम् । कम्मसं || सर्वम् । सन्वं ॥ शुल्यम् । सुब्धं ॥ क्वचित्त्वधः । काव्यम् । कवं ॥ कुल्या | कुल्ला || माल्यम् । मल्लं । द्विपः । दिओ || द्विजाति: । दुआई | क्वचित्पर्यायेण । द्वारम् | बारं । दारं | उद्विग्नः । उच्चिरमी | उ || अवन्द्र इति किम् । चन्द्र । संस्कृत समोयं प्राकृत शब्दः । अत्रोत्तरेण विकल्पोषिन भवति निषेध सामर्थ्यात् ॥
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अर्थः-संस्कृत शब्द 'बन्द्र' को छोड़कर के अन्य किसी संस्कृत शब्द में 'ल', 'ब' (अथवा व् ) और र' संयुक्त रूप से हलन्त रूप से धन्यवर्ग के पूर्व में अथवा पश्चात् अथवा ऊपर, कहीं पर भी रहे हुए हो तो इन का लोप हो जाया करता हैं। वर्ण के पूर्व में स्थित हलन्त 'ल 'व्' और 'र' के लोप होने के उदाहरण इस प्रकार है: - सर्व प्रथम 'ल' के उदाहरण: - उल्का उक्क्का और वल्कलम् = चक्कर || 'ब' के लोप के उदाहरण:-- शब्दः - सहो और लुब्धकः - लोओ। 'र के लोप के उदाहरण अर्कः = अक्का और वर्गः=बग्गो || वर्ण के पश्चात् स्थित संयुक्त एव ं हलन्त 'ल' 'ब' और 'र' के लोप होने के उदाहरण इस प्रकार है:- सर्व प्रथम 'ल' के उदाहरणः प्रणम् = महं; विक्लवः = विवो ॥ व के लोप के उदाहरण पक्वम् = पक्क अथवा पिक || ध्वस्तः धत्यो । 'र' के लोप के उदाहरणः चक्रम् = '; ग्रहः- गहो और रात्रिः- रत्ती ||
जिन संस्कृत शब्दों में ऐसा प्रसंग उपस्थित हो जाता हो कि उनमें रहे हुए दो हलन्त व्यञ्जनों के लोप होने का एक साथ हो संयोग पैदा हो जाता हो तो ऐसी स्थिति में 'उदाहरण में' जिसका लोप होना