________________
१३२]
* प्राकृत व्याकरण
कुन्तः संस्कृत शब्द है । इसका प्राकृत रूप कोन्तो होता है; इसमें सूत्र संख्या १-११६ से आदि 'ज' का 'ओ'; और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन से पुलिंग में 'मि' प्रत्यय के स्थान पर 'श्रो' प्रत्य की प्राप्ति होकर कोन्सो रूप मिद्ध हो जाता है ।
व्युत्कान्तं संस्कृत शब्द है । इसका प्राकृत रूप वोक्कत होता है । इसमें सूत्र संख्या २-७८ से 'य' का लोपः १-११६ से श्रादि 'उ' का 'श्री'; २-७६ से 'र' का लोप; २-७७ से '' का लोप: २-८८ से 'क' का द्वित्व 'क'; १-८४ से 'का' में रहे हुए, 'आ' का 'अ'; ३-२५ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में नपुंसक लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'म्' प्रत्यय की प्राप्ति; और १-२३ से प्राप्त 'म्' का अनुस्वार होकर वोक्कन्तं रूप सिद्ध हो जाता है। ॥११६।।
कुतूहले वा हृस्वश्च ॥ १-११७ ॥
कुतूहल शब्दे उत श्रोद् या भवति तत्संनियोगे हस्वश्च वा ॥ कोउहलं कुऊहलं कोउहन्लं ।।
___ अर्थः-कुतूहल शब्द में रहे हुए आदि 'उ' का विकल्प से 'ओ' होता है । और जब 'ओ' होता है. तब 'तू' में रहा हुआ दीर्घ 'ऊ' विकल्प से ह्रस्व हो जाया करता है । जैसे-कुतूहल = कोऊहलं; कुऊहलं;
और कोउहल्ले। तृतीय रूप में आदि 'उ' का 'श्रो' हुआ है। अतः उसके पास वाले-याने संनियोग वाले 'तू' में रहे हुए दीर्घ 'ॐ' का ह्रस्व 'उ' हो गया है।
कुतूहले संस्कृत शब्द है। इसके प्राकृत रूप कोऊहलं; कुऊहलं; कोजहल्लं होते हैं। इनमें सूत्र संख्या १-११७ से आदि 'उ' का विकल्प से 'ओ'; १-१४४ से सू' को लोप; ३-२५ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में नपुसक लिंग में 'मि' प्रत्यय के स्थान पर म' प्रत्यय की प्राप्ति; और १-२३ से प्राप्त 'म्' का अनुस्वार होकर क्रम से फोहल और कुलहलं रूप सिद्ध हो जाते है । तृतीय रूप में सूत्र संख्या १-११७ से श्रादि 'उ' का 'ओ'; १-१४७ से 'त्' का लोप; १.११७ से 'श्री' की संनियोग अवस्था होने के कारण से द्वितीय दीर्घ 'ऊ' का ह्रस्व 'उ'; २.६६ से 'ल' का द्वित्व 'ल्ल'; ३-२५ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में नपुंसक लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'म्' प्रत्यय की प्राप्ति; और १-२३ से प्राप्त 'म्' का अनुस्वार होकर फोहल्लं रूप सिद्ध हो जाता है । ।।११वा
अदूतः सूक्ष्मे वा ॥ १-११८ ।। सूक्ष्म शब्दे उतोद् वा भवति ॥ सरह सुरहं ।। आ । सुहुमं ।।
अर्थ:-सूक्ष्म शब्द में रहे हुए 'ॐ' का विकल्प से 'अ' होता है। जैसे-सूखमम् = सराई और सुण्इं ।। आर्ष प्राकृत में सुहमं रूप भी पाया जाता है।