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* प्राकृत व्याकरण
वोटकः संस्कृत रूप है । इसका प्राकृत रूप खोडयो होता है । इसमें सूत्र-संख्या २-६ से 'च' के स्थान पर 'ख' की प्राप्ति; १-१६५ से 'ट' का 'ड'; १-१५७ से 'क का लोप और ३.२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में प्रकारान्त पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'नो' प्रत्यय की प्राप्ति होकर
अत्यय का प्राप्ति होकर खोडभी रूप सिद्ध हो जाता है।
स्फोटकः संस्कृत रूप है । इसका प्राकृत रूप खोडो होता है । इसमें सूत्र संख्या २.से 'स्फ' के स्थान पर 'ख' की प्राप्ति; १-१६५ से 'ट' का 'इ': १-१४७ से 'क' का लोप और ३.२ मे प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय की प्राप्ति होकर खोहओं रूप सिद्ध हो जाता है।
स्फेटकः दांना रूप है ! हाका माहत का खेडो होता है। इसमें सूत्र संख्या २-६ से 'स्क् के स्थान पर 'ख' की प्राप्ति; १-१६५ से 'ट' का 'उ'; १.१७७ से 'क' का लोप और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्लिग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय की प्राप्ति की होकर खेसी रूप सिद्ध हो जाता है।
स्फोटिंकः संस्कृत रूप है । इसका प्राकृत रूप खेडियो होता है। इसमें 'स्फेटकः' के समान हो सानिका सूत्रों की प्राप्ति होकर खेडियो रूप सिद्ध हो जाता है। ॥२-६॥
स्थाणावहरे ॥ २-७॥ स्थाणौ संयुक्तस्य खो भवति इरश्चेद् वाच्यो न भवति ॥ खाण ॥ अहर इति किम् । थाणुणो रेहा॥
___ अर्थ:--स्थाणु शब्द के अनेक अर्थ होते हैं:-टूठा वृन खम्भा, पर्वत और महादेव श्रादि जिस समय में स्थाणु शब्द का तात्पर्य 'महादेव' नहीं होकर अन्य अर्थ वाचक हो तो उस समय में प्राकृत रूपान्तर में प्रावि संयुक्त अक्षर 'स्य का 'ख' होता है।
प्रश्न:-'महादेव-अर्थ वाचक स्थाणु शब्द हो तो उस समय में स्थाणु' शब्द में स्थित संयुक्त 'स्थ' के स्थान पर 'ब' की प्राप्ति क्यों नहीं होती है ? अर्थात मूल-सूत्र में 'प्रहर याने महादेष-वाचक नहीं हो तो:-ऐसा क्यों उल्लेख किया गया है ?
उत्तर:-यदि 'स्थाणु' शब्द का अर्थ महादेव होगा; तो उस समय में स्थाणु' का प्राकृत रूपा. न्तर थाणु' ही होगा; न कि 'खाणु' । ऐसा परम्परा-सिद्ध रूप निश्चित है। इस बात को बतलाने के लिये ही मूल-सूत्र में 'श्रहर' याने 'महादेव-अर्थ में नहीं ऐसा उल्लेख करना पड़ा है। जैसेः स्थाणुः(ठूठा )-खाणू ।। स्थाणोः रेखा (महादेवजी का चिन)-थागुणो रहा । इस प्रकार 'वाणु' में और 'थाणु' में सो अन्तर है; वह ध्यान में रखा जाना चाहिये ।।