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* प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित *
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से 'ध' का 'ह'; १-१२२ से दीर्घ 'ऊ' का विकल्प से ह्रस्व 'उ'; १-१४७ से 'क' का लोप, ३-२५ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में नपुसक लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'म्' प्रत्यय की प्राप्ति; और १-२३ से से प्राप्त 'म्' का अनुस्वार होकर क्रम से मङ्गों और महू रूप सिद्ध हो जाते हैं । ।।१२२॥
इदेतो नुपूरे वा ॥ १-१२३ ॥ नूपुर शब्दे ऊत इत् एत् इत्येतो वा भवतः ।। निउर नेउरं । पचे नूउरं ।।
अर्थः-नूपुर शहद में रहे हुए प्रादि दीर्घ 'ॐ' के विकल्प से 'इ' और 'ए' होते हैं । जैसे-नूपुरम् =निटरं, नेउरं और पक्ष में नूउरं । प्रथम रूप में 'अ' को 'इ'; द्वितीय रूप में 'अ' का 'ग'; और तृतीय रूप में बिकल्प-पक्ष के कारण से 'ॐ' का 'ॐ ही रहा।
भूपुरम् संस्कृत शब्न है। इसके प्राकृत रूप निउर, नेउरं और नूउरं होते हैं। इनमें सूत्र संख्या १-१२३ से आदि दीर्घ 'क' का विकल्प से 'इ' और 'ए'; और पक्ष में 'ऊ'; १-१७६ से 'प' का लोप; ३-२५ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में नपुसक लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'म् प्रत्यय की प्राप्ति; और १-२३ से प्राप्त 'म' का अनुस्वार होकर कम से निउरं, नेजरं, और नूउरं रूप सिद्ध हो जाते हैं । ॥ १२३ ।।
प्रोस्कूष्माण्डीतूणीर-कूपर-स्थूल-ताम्बूल-गुडूची-मूल्ये ॥ १-१२४ ।।
- एषु उत श्रोत् भवति । कोहण्डी कोहली । तोणारं कोप्परं । थोरं । तम्बोल । गलोई मोल्ल॥
___ अर्थ:-कूष्माण्डी, तूणीर, कूर्पर, स्थूल, ताम्यूल, गुडूची, और मूल्य में रहे हुए 'अ' का 'ओ' होता है। जैसे-कूष्माण्डी = कोहण्डी और कोहली । तूणीरम् = तोणीरं । पूर्वरम् = कोप्परं । स्थूलम् = थोरं । ताम्यूलम् = तम्बोलं । गुडूची-गलोई । मूल्यं = मोल्लं ।।
कूष्माण्डी संस्कृत शब्द है। इसके प्राक्त रूप कोहण्डी और कोहली होते हैं। इनमें सूत्र संख्या १-५२४ से 'ऊ' का 'श्री'; २-७३ से 'एमा' का 'ह'; और इसी सूत्र से 'एड' का विकल्प से 'ल'; होकर कम से कोहण्डी और कोहली रूप सिद्ध हो जाते हैं।
तूणीरम् संस्कृत शब्द है । इसका प्राकृत रूप तोणीरं होता है । इसमें सूत्र संख्या १-१२४ से का 'श्रो'; ३-२५ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में नपुंसक लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'म्' प्रत्यय की प्राप्ति और १-२३ से प्राप्त 'म्' का अनुस्वार होकर तोर रूप सिद्ध हो जाता है।
परमें संस्कृत शब्द है इसका प्राकृत रूप कोप्परं होता है। इसमें सूत्र संख्या १०९२४ से '' का 'ओ'; २-६ से 'र' का लोप; २-८८ से 'प' का द्वित्व 'एप'; ३-२५ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में