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धात्विक विकरण प्रत्यय 'आय' के स्थान पर प्राकृत में विकरण प्रत्यय 'अ' की प्राप्ति; और ३-१३६ स वर्तमान काल के एक वचन में प्रथम पुरुष में संस्कृत प्रत्यय 'ति' के स्थान पर प्राकृत में 'इ' प्रत्यय की प्राप्ति होकर गोष रूप सिद्ध हो जाता है ।
* प्राकृत व्याकरण
तपति संस्कृत अकर्मक क्रियापद का रूप है। इसका प्राकृत रूप तब होता है। इसमें सूत्र संख्या १-२३१ से 'प' का 'व' और ३-१३६ से वर्तमान काल के एक वचन में प्रथम पुरुष में संस्कृत प्रत्यय 'ति' के स्थान पर प्राकृत में 'इ' प्रत्यय की प्राप्ति होकर तवह रूप सिद्ध हो जाता है।
कम्प रूप की सिद्धि सूत्र संख्या १०० में की गई है।
अप्रमत्तोः संस्कृत विशेषण रूप है । इसका प्राकृत रूप अप्पमत्तो होता है । इसमें सूत्र संख्या २.७६ से 'र्' का लोप २६ से 'प' का द्वित्व 'पप' और ३२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय की प्राप्ति होकर अप्पमत्तो रूप सिद्ध हो जाता है ।
सुखेन संस्कृत तृतीयान्त रूप है । इसका प्राकृत रूप सुहेरा होता है । इसमें सूत्र संख्या १-१८७ से 'ख' का 'ह'; ३-६ से अकारान्त पुल्लिंग अथवा नपुंसक लिंग वाले शब्दों में तृतीया विभक्ति के एक वचन में संस्कृत प्रत्यय 'टा' के स्थान पर प्राकृत में 'ण' प्रत्यय की प्राप्ति और ३-१४ से प्राप्त 'ण' प्रत्यय के पूर्व में स्थित '' को 'ए' की प्राप्ति होकर सुहेण रूप सिद्ध हो जाता है ।
es रूप की सिद्धि सूत्र संख्या १-१९९ में की गई है ।
कपिः संस्कृत रूप है | इसका प्राकृत रूप कई होता है। इसमें सूत्र संख्या १-१७७ से 'पू' का लोप और ३-१६ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में इकारान्त पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर अन्त्य ह्रस्व स्वर 'इ' को दीर्घ स्वर 'ई' को प्राप्ति होकर कई रूप सिद्ध हो जाता है ।
रिक रूप को सिद्धि सूत्र संख्या १-१७७ में की गई है | ॥ १-२३१ ।।
पाटि - परुष- परिघ परिखा पनस - पारिभद्रो फः ॥ १-२३२ ॥
यन्ते पटि धातौ परुषादिषु च पस्य को भवति || फालेड़ फाडे फरुसो फलिहा । फलिहा । फणसो । फालिहद्दो ||
अर्थः-- प्रेरणार्थक क्रिया बोधक प्रत्यय सहित पटि धातु में स्थित 'प' का और परुष, परिघ, परिखा, पनस एवं पारिभद्र शब्दों में स्थित 'प' का 'फ' होता है। जैसे:- पाटयति=फाले अथवा फाडेइ ॥ परुषः =फरुसो | परिघः फलिहो || परिखा =फलिहा || पनसः फणसो पारिभद्रः कालिहो ||
फालेइ और फाड़ेइ रूपों की सिद्धि सूत्र संख्या १०९९८ में की गई है।