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* प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित *
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नवहो और साो रूपों की सिद्धि सूत्र संख्या १.१७९ में की गई है।
उपसर्गः संस्कृत रूप है इसका प्राकृत रूप उबसग्गो होता है । इसमें मूत्र संख्या १-२३१ से 'प' का 'व'; २-5 से 'र' का लोप; २-८८ से 'ग' का द्वित्व गग' और ३-२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्लिग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'नो' प्रत्यय की प्राप्ति होकर उपसग्गी रूप मिद्ध हो जाता है।
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प्रदीपः संस्कृत रूप है । इसका प्राकृत रूप पश्वा होता है । इसमें सूत्र संख्या २-% से 'र' का लोप; १-१४७ से 'द्' का लोप; १-२३५ से द्वितीय 'प' का 'व' और ३.२ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त पुल्लिग में 'मि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय की प्राप्ति होकर पईवो रूप मिद्ध हा जाता है।
कासको रूप की सिद्धि सूत्र संख्या १-४३ में की गई है। पावं रूप की सिद्धि सून संख्या १.१७५ में की गई है।
उपमा संस्कृत रूप है। इसका प्राकृत रूप उवमा होता है । हम में सूत्र संख्या १-२३१ से प' का 'व' होकर उधमा रूप सिद्ध हो जाता है ।
कपिलम संस्कृत रूप है। इसका प्राकृत रूप कविलं होता है। इसमें सूत्र संख्या १-२३१ से 'प' का 'व'; ३-२५ से प्रथमा विभक्ति के एक वचन में अकारान्त नपुंसक लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'म्' प्रत्यय की प्राप्ति और १-२३ से प्राप्त 'म्' का अनुस्वार होकर कपिलं रूप मिद्ध हो जता है ।
झुणपम् संस्कृत विशेषण रूप है । इसका प्राकृत रूप कुम होता है । इसमें सूत्र-मंख्या १.२३१ से "q" का "व": ३.२५ से प्रथमा विभा केत्त के एक वचन में अकारान्त नपुसकलिंग में "मि' प्रत्यय के स्थान पर 'म् प्रत्यय की प्राप्ति और १-२३ से प्राप्त 'म्' का अनुस्वार होकर कुणवं रूप सिद्ध हो जाता है।
कलापः संस्कृत रूप है । इसका प्राकृत रूप कलावों होता है । इममें सूत्र संख्या : २३१ मे 'प' का 'व' और ३-२ मे प्रथमा विभक्त के एक वचन में अकारांन पुलिंजग में 'सि' प्रत्यय के म्यान पर 'श्री प्रत्यय की प्राप्ति होकर कलाको रूप सिद्ध हो जाता है।
महापालः संस्कृत है । इसका प्राकृत रूप महिंघालो होता है । इस में सूत्र संख्या १-४ से ही में स्थित दोघ 'ई' की ह्रस्व 'इ'; १-२३२ से 'प' का 'व' और ३-२ प्रथमा विभकिन के एक वचन में अकारान्त पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'नो' प्रत्यय की प्राप्ति होकर महिषाली रूप सिद्ध हो जाता है।
गोपायति संस्कृत सकर्मक क्रियापद का रूप है । इमका प्राकृत रूप गोवइ होता है। इसमें सूत्र संख्या १-२३. से 'प' का 'व'; ४.३६ में संस्कृत व्यञ्जनान्त धातु 'गोम' में प्राप्त संस्कृत