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* प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित *
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_ इत एहा ॥ १.८५ ॥ . संयोग इति वर्तते । श्रादेरिकारस्थ संयोगे परे एकारो वा भवति ।। पण्डं पिण्डं । धम्मेलं बम्मिल्लं । सेन्रं सिन्दूरं । बेल्हू विणहू । पेढे पिट्ठ। वेन्त बिन्ल ॥ करित्र भवति । चिन्ता ।
अर्थ:-'संयोग' श्रठद ऊपर के १-८४ सूत्रसे ग्रहण कर लिया जाना चाहिये । संयोग का तात्पर्य 'संयुक्त अक्षर' से है । शब्द में रही हुई आदि हस्व 'इ' के श्रागे यदि संयुक्त अक्षर आजाय; तो उस
आदि 'इ' का 'ए' विकल्प से हुआ करता है। जैसे-पिण्डम् = पेण्ड' और पिण्ड । धम्मिल्लम् = धम्मेल्लं और धम्मिल्लं । सिन्दूरम् =सेन्दूर और सिन्दूरं ॥ विष्णुः वेण्हू और विण्हू ।। पिष्टम् - पेटुं और पिट्ठ॥ विल्यम्-वेल्न और बिल्लं । कहीं कहीं पर इस्व 'इ' के आगे संयुक्त अक्षर होने पर भी उस हस्य 'इ' का 'ए' नहीं होता है । जैसे-चिन्ता चिन्ता ।। यहाँ पर 'इ' का 'ए' नहीं हुआ है।
पिण्डम् संस्कृत शब्द है । इसके प्राकृत रूप पेण्ड और पिण्ड होते है । इन में सूत्र-संख्या५-८५ से 'इ' का विकल्प से 'ए'; ३-२५ से प्रथमा के एव वचन में नपुंसक लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थानपर 'म्' प्रत्यय की प्राप्ति; १-२३ से प्राप्त 'म्' का अनुस्वार होकर क्रमसे पेण्डं और पिण्डं रूप सिद्ध हो जाते है।
धम्मिल्लम् संस्कृत शब्द है । इसके प्राकृत रूप धम्मेल्लं और धम्मिल्ल होते है। इन में सूत्रसंख्य-१-८५ से' का विकल्प से 'ए'; ३-२५ से प्रथमा के एक वचन में नपुंसक लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'म' प्रत्यय की प्राप्ति; १-२३ से प्राप्त म्' का अमुस्वार होकर कम से धमेल और धम्भिल्लम रूप सिद्ध हो जाते हैं।
सिन्दूरभ संस्कृत शब्द है। इसके प्राकृत रूप सेन्दूरं और सिन्दूर होते हैं । इनमें सूत्र-संख्या१-८५ से 'इ' का विकल्प से 'ए" ३-२५ से प्रथमा के एक वचन में नपुंसक लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'म्' प्रत्यय की प्राप्ति; और १-२३ से प्राप्त 'म्' का अनुस्वार होकर कमसे सेनूर और सिन्दूरं रूप सिद्ध हो जाते हैं।
विष्णुः संस्कृत शब्द है । इसके प्राकृत रूप वेण्हू और विण्हू होते हैं। इनमें सूत्र संख्या १-८५ से 'ज्ञ' का विकल्प से 'ए',२-७५ से 'ण' का 'एह'; और ३.१६ से प्रथमा के एक वचन में पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर अन्त्य स्वर का वीर्घ स्वर याने ह्रस्वज'का 'दीर्घ ' होकर क्रम से वेण्डू और पिण्डू रूप सिद्ध हो जाते हैं।
पिष्टन संस्कृत शब्द है । इसके प्राकृत रूप पेटुं और पिर्ट्स होते हैं इनमें सूत्र संख्या-१-८५ से 'इ' का विकल्प से '५'; २-३४ से 'ष्ट' का '४% २८ से प्राप्त 'ठ' का द्वित्व 'छ; २-६० से प्राप्त पूर्व '' का