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* प्राकृत व्याकरण *
युधिष्ठिरे वा ॥ १.६६ ॥ युधिष्ठिर शब्दे आदेरित उत्वं वा भवति ।। जहुट्ठिलो । जहिडिलो ॥ :
अर्थः-युधिष्ठिर शङद में आदि 'इ' का विकल्प से 'उ' होता है । जैसे-युधिष्ठिरः जटिलो और जहिटिलो ॥
युधिष्ठिरः संस्कृत शब्द है । इसके प्राकृत रूप जहुटिलो और जहिट्ठिलो होते है ! इममें सूत्रसंख्या -५-२४५ से 'य' का 'ज'; १-१२७ से 'उ' का 'अ'; 1-1८७ से 'ध्' का 'ह'; १-६६ से श्रादि 'इ' का विकल्प से 'उ'; २-४७ से 'व्' का लोप; २-८६ से 'ठ' का द्वित्व 'छ'; २-६० से प्राप्त पूर्व 'लू' का 'द'; १-२५४ से 'र' का 'ल'; और ३-२ से प्रथमा के एक वचन में पुल्लिंग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय होकर क्रम से जटिलो और जहिठिलो रूप सिद्ध हो जाते हैं।
श्रोच्च द्विधाकृगः ॥ १-१७॥ द्विधा शब्दे कुग धातोः प्रयोगे इत प्रोत्वं चकारादुत्वं च भवति ॥ दोहा-किग्जइ । दुहाकिज्जइ दोहा-इयं । दुहा- ॥ कृग इति किम् । दिहा-गयं ।। क्वचित् केवलस्यापि ।। दुहा वि सो सुर-बहू-सत्थो॥
अर्थः-द्विधा शब्द के साथ में यदि कृग् धातु का प्रयोग किया हुअा होतो द्विधा' में रही हुई 'ह का 'ओ' और 'उ' क्रम से होता है । जैसे-द्विधा क्रियते =दोहा-फिज्जइ और दुहा-किज्जह ॥ द्विधाकृतम् = दोहा-इशं और दुहा-इश्र । 'कग ऐसा उल्लेख क्यों किया ? सर-यदि द्विधा के साथ में 'कृ' नहीं होगा तो इ' का 'ओ' और 'उ' नहीं होगा । जैसे-द्विधा-गतम् = दिहा-गयं ।। कहीं २ पर केवल द्विधा ही हो और कृग् धातु साथ में नहीं हो तो भी 'विधा' के 'इ' का '' देखा जाता है। जैसे द्विधापि मा सुरवधू-सार्थः- दुहा वि सो सुर-वहू-सत्यों। यहां पर 'द्विधा में रही हुई 'इ' का 'उ' हुआ है।
विषा कियते संस्कृत अकर्मक क्रियापद है। इसके प्राकृत रूप दोहा-किज्जा और दुहा-किज्जइ होते हैं। इनमें सूत्र-संख्या--१७७ से 'द' का लोप; १-१७ से द्वि' के 'इ' का क्रम से 'यो' और 'उ'; १-८७ से 'ध' का 'ह'; २-७ से 'र' का लोप; ३-६० से संस्कृत में कर्मणि वाच्य में प्राप्त 'इय' प्रत्यय के स्थान पर 'इज्ज' प्रत्यय की प्राप्ति, १-१० से 'इ' का लोपः ३-१३६ से प्रथम पुरुष के एक वचन में वर्तमान काल के 'ते' प्रत्यय के स्थान पर 'इ' प्रत्यय की प्राप्ति होकर दोहा-किज्जन और दुहाकिज्जड़ आप सिद्ध हो जाते है।
विधा-कृतम् संस्कृत विशेषण है । इसके प्राकृत रूप दोहा-इ और दुहा-इश्र होते हैं। इनमें से दोहा और दुहा की सिद्धि तो ऊपर के अनुसार जानना ! शेष कृतम् रहा । इसकी सिद्धि इस प्रकार है: