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*प्रियोदय हिन्दी व्याख्या सहित *
प्रवाहः संस्कृत शब्द है । इसके प्राकृत रूप पवद्रो और पवाहो होते हैं । इनम सूत्र संख्या २-७९ से 'र' का लोप, १-६८ से 'आ' का विकल्प से 'म'; और ३-२ से प्रथमा के एक वचन में पुल्लिग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय होकर क्रम से पचही और पवाही रूप सिद्ध हो जाते हैं।
पहारः संस्कृत शम्ब है । इसके प्राकृत रूप पहरो और पहारो होते हैं। इनमें सूत्र संख्या २-७९ से 'र' का लोप; १-६८ से 'आ का विकला से 'x'; और ३.२ से पथमा के एक मवन में पुस्लिम में "fस' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' होकर कम से पहरो और पहारो रूप सिद्ध हो जाते हैं।
प्रकारः संस्कृत शम्च है । इसके प्राकृत रूप पपरो और पयारो होते हैं। इन में सूत्र संख्या-२-७९ से '' का लोप; १-१७७ से 'क' का लोप; १-१८० से शेष 'म' का 'य ; १.६८ से 'भा' का विकल्प से 'म'; ३-२ से प्रथमा के एक बचन में पुल्लिग में "सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय होकर कम से पयरों और पयारो सिद्ध हो जाते हैं । प्रचार के प्राकृत रूप पयरो और पयारो को सिद्धि पर लिखित 'प्रकार कामको सिद्धि के समाम ही जानना!
प्रस्ताव संस्कृत सन्द है । इसके प्राकृत रूप पत्थवो और परयायो होते हैं। इनमें सूत्र संख्या-२-७९ से 'र' का लोप; २-४५ से 'त' का 'य'; २-८९ से प्राप्त 'थ' का विश्व 'थ'; २-९० से प्राप्त पूर्व '' का 'त'; १-६८ से 'आ' का 'अ'; और ३-२से प्रथमा के एक बचन में इल्लिग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय होकर कम से पस्यबो और पत्थानो रुप सिद्ध हो जाते है।
रागः संस्कृत काव है । इसका प्राकृत म राम्रो होता है । इसमें सूत्र-संख्या- -१७. से 'म्' का लोप; और ३-२ से प्रसमा के एक अचन में पुल्लिग में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय होकर 'राओ' रूप सिद्ध हो पाता है। ॥ ६८॥
महाराष्ट्र ॥ १-६६ ॥ महाराष्ट्र शब्दे आदेराकारस्य भद् भवति ।। मरहई । मरहट्ठो ।
अर्थः महाराष्ट्र शास्त्र में आवि 'अ' का 'अ' होता है। जैसे - महाराष्ट्रन = मरवा महाराष्ट्र: = मरहट्टो
महाराष्ट्रम संस्कृत शब्द हैं । इसका प्राकृत मा मरहट्ट होता है। इसमें सूत्र संस्पा १-६९ से आदि 'मा' का 'अ'; १-८४ से 'रा' के 'अ' का ''; २-७९ स' के 'र' का लोर; २-३४ सं'' का '8'; २-८५ * प्राप्त 'ड' का द्विस्व ''; २.९० से प्राप्त पूर्व '' की 'द'; २-११९ से 'ह' और 'र' वरों का ध्यत्यय ३-२५ से प्रथमा के एक पचम में मसक लिंग में "fe' प्रत्यय के स्थान पर '' प्रत्यय की प्राप्तिा और १-२३ से प्रास 'म्' का अनुस्वार होकर मरहट्ट रूप सिब हो जाता है।