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* प्राकृत व्याकरण *
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माहमणः संस्कृत शब्द है । इसके प्राकृत रूप बम्हणो और बाम्हणो होते हैं। इनमें सूत्र-संख्या २-७९ से 'र' का लोप; ५-७४ से 'स' का म्ह'; १-६७ से आदि 'मा' का विकल्प से 'अ'; और ३-२ से प्रथमा के एक पधन में पुल्लिग में "सि' प्रत्यय के स्थान पर 'ओ' प्रत्यय की प्राप्ति होकर क्रम से बम्हणी और पाम्हणो रूप सिद्ध हो जाते हैं।
पूर्वाहणः संस्कृत शख है । इसके प्राकृत रूप पुषहो और पुराव्हो होते हैं। इनमें सूत्र संख्या-२.७९ से ' का लोप; २-८९ से 'द' का हिव्य 'स्व'; १-८४ से दोघं 'अ' का हृष 'उ'; १-६७ से आदि 'ओ' का विकल्प से 'म'; २-७५ से 'ह,ण' का ''; और ३-२ से प्रथमा के एक बचन में पुलिस में "सि' प्रत्यय के स्थान पर 'नो' प्रत्यय की प्राप्ति होकर क्रम से पुराहो और पुल्याण्हो रूप सिद्ध हो जाते हैं।
दवाग्नि: मंस्कृत शब्द है : इसका प्राकृत रूप धावग्गो होता है। इसमें सूत्र संख्या २-७८ से 'न' का लोप २-८९ से 'ग' का द्विस्व 'ग' १-८४ से 'वा' के 'आ' का 'अ'; ३-१९ से पुल्लिा में प्रयमा के एक वचन में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर अन्त्य हस्व स्वर 'इ' का दीर्घ स्वर 'ई' होकर दवग्गी रूप सिद्ध हो जाता हैं।
दावाग्निः संस्कृत शब्व है। इसका प्राकृत रूप वावगी होता है । इसमें मूत्र संख्या २-७८ सेन का लोग; ... से द्वि:); - माये'' का 'म'; .३-१९ से प्रयमा के एक वचन में पुल्लिग में सि' प्रत्यय के स्थान पर 'हस्व स्वर का वीचं स्वर' होकर वावगी रूप सिब हो जाता है।
चतुः संस्कृत शम्ब है । इसका प्राकृत रूप घडू होता है । इसमें सूत्र संख्या १-१९५ से'' का '' और ३-१९ से प्रथमा के एक वचन में पुल्लिर में 'सि' प्रत्यय के स्थान पर हरव स्वर '' का शीर्घ स्वर 'अ' होकर घडू रुप सिद्ध हो जाता है।
धातुः सस्कृत शब्द है । इसका प्राकृत रूप चाकू होता है। इसमें सूत्र संख्या १-१९५ से '' का ''; और ३.१९ प्रपमा के एक वचन में पुल्लिंग में सि' प्रस्थय के स्थान पर इस्व स्वर 'इ' का दीर्घ स्वर 'क' होकर या रूप सिद्ध हो जाता है।
ध वृद्ध वा ॥ ६ ॥ घन निमित्तो यो वृद्धि रूप श्राकारस्तस्यादिभूतस्य अद् वा भवति ।। पवहो पवाहो । पहरो पहारो । पयरो पयारो । प्रकारः प्रचारो वा । पत्थयो परथावो ॥ क्वचिन्न भवति । रागः रानी ॥
अर्थ:-या प्रत्यय के कारण से वृद्धि प्राप्त आदि 'आ' का विकल्प से 'अ' होता है । जैसे-प्रवाहः - पबहो और पवाहो ।। प्रहार: पहरो और पहारो ॥ प्रकारः अथवा प्रचार:- पपरो और पयारे । प्रस्तावः = पत्थयो और पस्पात्रो ।। कहीं कही पर 'बा' का 'अ' नहीं भी होता है। जैसे-रागः= रामो