________________ सेठियाजैनप्रन्थमाला पहिले माप उससे प्रणाम करने का ध्यान रखो / 66 नदी के किनारे, ताल के किनारे, कुएँ के पास, मार्ग में या मार्ग के किनारे, फलवाले वृक्ष के नीचे, सूने घर में, पवित्र स्थान में और श्मशान में पाखाने मत जाओ। 67 अपने मुँह अपनी तारीफ नहीं करनी चाहिये बल्कि काम ऐसे करने चाहिये जिनसे लोग ख़ुद बखुद आपकी तारीफ करने लगे। . 18 दुःख में पड़े हुए अपने शत्रु को भी मत सताओ बल्कि जहाँ तक हो उसको सच्चे मन से कष्ट के समय में सहायता दो। RE रंडी वगैरः स्त्रियों के नाच में मत जाओ। यदि कहीं मार्ग में वेश्या समाज इकठ्ठा हो रहा हो तो वहाँ खड़े मत रह जाओ। बल्कि ऐसे जल्सों और उत्सवों में भी मत जाओ जहाँ रंडी का नाचगान होनेवाला हो। 10. किसी उत्सव, समाज या सभा में पहुँचकर वहाँ के उप. स्थित महाशयों को प्रणाम अवश्य करो। 101 किसी वाचनालय (लायब्रेरी) में जाकर बातचीत न 'करो और न जोर जोर से बोलकर ही पढ़ो। .102 लायब्रेरी में जाकर जिस अखबार या पुस्तक को भाप देखना चाहते थे और यदि उसे उस समय कोई देख रहा होपड़ रहा हो, तो उसके हाथ में से न छीनो /