________________ (40) सेठियाजैनप्रन्यमाला.. प्रयोजन स्थावर जीवों की हिंसा न करना, अहिंसा अणुव्रत कहलाता है। कहा भी है जीवों की करुणा मन धार / यह सब धर्मों में है सार / / 2 सत्याणुव्रत(स्थूल मृषावाद विरमणव्रत)-मोटा झूठ न बोलना, सत्याणुव्रत कहलाता है। कहा है झूठ वचन मुख पर मत लाव / सांच बचन पर राखहु. भाव // ३अचौर्याणुव्रत(स्थूल अदत्तादान विरमणवत)दण्डनीय चोरी न करना। कहा है मालिक की आज्ञा विन कोय। चीज गहे सो चोरी होय॥ ताते ग्राज्ञा विन मत गहो। चोरी से नित डरते रहो / ४ब्रह्मचर्याणुव्रत-- परस्त्री का त्याग करना दूसरी स्त्रियों को माता बहिन और लड़की के समान समझना। इसे स्वदारसंतोषव्रत भी कहते हैं। कहा है पर दारा के नेह न लगो। . इससे तुम दूरहि ते भगो॥