________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (151) तय करने में यह दूसरा हाथ, रिपु और विरोध भावना का संहार करने के लिए शक्तिमान है।" पुरोहितजी ने समयोचित शिक्षा देकर सब कियाएँ समाप्त की। विवाहोत्सव सानन्द समाप्त प्रा / बरात वापस लौट गई। विजया, जो अब तक सुहावनी 2 बात कह माता-पिता का दिल बहलाव करती थी, उन्हें त्याग कर जीवन के नवीन मार्गकी यात्रिणी बनी / अब तक वह बालिका थी, अब स्वामिनी हुई। यथासमय पति-पत्नी का सम्मिलन हुआ। विजयकुमार ने अपनी प्रतिज्ञा की बात कही। विजया ने जब जाना कि पतिदेव की शुक्लपक्ष में ब्रह्मचर्य की प्रतिज्ञा है तो वह चंचल नहीं हुई / उसने दृढता से कहा-"आपने जो प्रतिक्षा की है, उसमें मैं और भी सहारा दूंगी।" ___ विजया की यह गोलमोल बात विजयकुमार की समझ में न आई / उसने कहा "विजया! जैसे तुम्हारी गंभीरता का माप करना मेरे लिए असंभव है, वैसे तुम्हारे वार्तालाप को समझना मी क्या संभव न होगा। देवि! जैसे तुम्हारा हृदय सरल है,वैसे ही सरल भाषा में बोलो, तो काम न चलेगा? विजयकुमार के व्यं. गय से विजया कुछ लज्जित-सी हो कर बोली--"आपने शुक्लपक्ष में ब्रह्मचर्य की प्रतिक्षा ली है और मैंने कृष्णपक्ष में / " . ___ विजय-ऐ! क्या यह बात सच है? तुमने सचमुच ऐसी प्रतिज्ञा ली है? 'विजया---"पतिदेव! सच है, बिलकुल सच / और इसी में मुझे सुख का अनुभव होता है / घश्वराचे 'नहीं शरीरसुख का