Book Title: Niti Shiksha Sangraha Part 02
Author(s): Bherodan Jethmal Sethiya
Publisher: Bherodan Jethmal Sethiya

View full book text
Previous | Next

Page 622
________________ सेठिया जैन प्रन्थमाला जिला पर केवली भगवान् की बात है। उनकी बातचीत से ही विदित होता है कि नगर के बाहर केवली भगवान् पधारे हैं। - श्राज केवली भगवान् ने, अपनी देशना में विजयकुमार सेठ ओर विजया सेठानी की खूब प्रशंसा की / वास्तव में गृहस्थी का परित्याग कर ब्रह्मचर्य पालन करने की अपेक्षा, गृहस्थी में भी के पास रहते हुए पूर्ण ब्रह्मचर्य के पालन करने में अधिक जितेन्द्रियता और विशुद्ध उपयोग की आवश्यकता है। केवली ममबान के मुखारविंद से इस दम्पति की प्रशंसा सुनकर जिनदास नामक एक सेठजी को उनके दर्शन करने की उत्कंगठा हुई / ये दर्शन करने चले पहले पहल यकायक विजयकुमार के पिता से उनकी भेट हुई / अब तक उन्हें जिस बात का स्वप्न में भी ध्यान न था, वही सुनकर उनके मानस-समुद्र में तरह 2 के विचारों की तरंगें उठने लगी / अपने सुपुत्र का संयम और केवली भगवान् द्वारा की हुई प्रशंसा का विचार करते ही उनकी रोम-राजि मारे हर्ष के पुलकित हो उठती, कभी ममता-वश संसारिक सुख से वश्चित समझ खेदखिन्न हो जाते। : इधर, दम्पति को जब यह विदित हुआ कि हमारी प्रतिक्षामों का हाल पिताजी पर प्रकट हो चुका है, तो दोनों ने पूर्व प्रतिज्ञा के अनुसार मुनि और आर्यिका की दीक्षा अङ्गीकार की / ब्रह्मचर्य की धधकती हुई भट्ठी में कुछ कबंधन स्वाहा हो ही चुका था, शेष बचे हुए कर्मों का आत्यन्तिक नाश कर अनन्त अनुपम अनिर्वचनीय आनन्द-स्थान-मुक्ति को प्राप्त किया। ..

Loading...

Page Navigation
1 ... 620 621 622 623 624 625 626 627 628 629 630