________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा नहीं भी हो, अर्थात् तुममें अस्तित्व और नास्तित्व दोनों होंगे, हम बोलते हैं और नहीं भी बोलते, तुम पिता और पुत्र दोनों हो / इनमें कुछ विरोध नरहेगा। शान्ति ! तुम बड़े भोले हो। तुम जिन बातों से डरते हो, वे सब ही बातें तुम्हारे अन्दर पाई जाती हैं। तुम - कहते हो “हम हैं भी और नहीं भी हैं" यह कहना ठीक हो जायगा / भाई ! ठीक क्या हो जायगा, ठीक ही हैं। तुम मनुष्य हो, पशु नहीं हो, अर्थात् तुममें मनुष्य की अपेक्षा अस्तित्व और पशु की अपेक्षा नास्तित्व है। तुम मुझसे बोलते हो, दूसरे से नहीं बोलते / प्रतः तुम बोलने वाले हो और नहीं भी हो। और इस बात को कौन अस्वीकार कर सकता है कि प्रत्येक पुरुष अपने पिता की अपेक्षा पुत्र है और पुत्र की अपेक्षा पिता / इस प्रकार की विचार-दृष्टि को ही स्याद्वाद कहते हैं। अर्थात् किस वस्तु में किस अपेक्षा से कौन २सा गुण (धर्म) रहा हुआ है, इसी बात को स्याद्वाद बतलाता है / स्थावाद विरोध का विरोध करता है। जहां स्याद्वाद रूपी सविता का उदय हुआ कि विरोधतिमिर दुम दबा कर नौ दो ग्यारह हुआ / संसार से यदि धार्मिक सामाजिक वैर-विरोध आदि दस्युओं का मुँह काला करना हो तो धर्म के सिंहासन पर इसी महानृपेन्द्र को बिठलाना चाहिए / स्याद्वाद-सम्राट की विजय वैजयन्ती फहराती देख, धार्मिक क्षेत्र से कलह ईर्षा अनुदारता प्रादि दोष भयभीत होकर भाग जाएँगे।