________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा .... बतलाना और दूसरे अंशों का भ्रान्त कहना ही भूल है। वह इस भूल को बता कर पदार्थ के सत्य स्वरूप को आगे रखता है प्रत्येक सम्प्रदाय को किसी एक विवक्षा से ठीक बतलाने के कारण स्याद्वाद कलह को शान्त करने की क्षमता रखता है। . शान्ति- स्याद्वाद से संशय उत्पन्न हो जाता हैं / हम है या नहीं? इस प्रकार का विकल्प हृदय में पैदा होने लगता है। इसीलिए स्याद्वाद को संशयवाद कहना ठीक है न? . इन्द्र०- नहीं, ठीक नहीं है / संशये और स्याद्वाद में श्राकाश पाताल जितना अन्तर है ! उनका आपस मेंतनिक भी लगाव नहीं है। संशय में, दो पदार्थों में से किसी का निश्चय नहीं होता और स्याद्वाद में दोनों का निश्चय हो जाता है / जैसे-हम हैं या नहीं? यह संशय है। अनेकान्त नहीं है। अनेकान्त कहता है हम मनुष्य हैं, पशु नहीं हैं / इसमें संशय नहीं है? अतः इसे संशय रूप बतलाना अनुचित है। अनेकान्त वस्तु का स्वरूप है / जगत में जब तक वस्तुएँ हैं, तब तक अनेकान्त रहेगा ही। वस्तु का कमी नाशनहीं होतातो अनेकान्त भीकभी नहीं मिट सकता। कठिन शब्दों के अर्थ ........ वात- हवा, वायु / अस्तित्व- होना, मौजुदगी / नास्ति-ज, होना, गैरमौजूदगी / सविता- सूर्य: विरोधतिमिर- विरोध रूपी अंधकार / दुम दबा कर. डर