Book Title: Niti Shiksha Sangraha Part 02
Author(s): Bherodan Jethmal Sethiya
Publisher: Bherodan Jethmal Sethiya

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Page 614
________________ सेठिया जैन ग्रन्थमाला एकाग्र करने का सफल साधन यही है कि वह कोई सद्गुण पसन्द करले और उसीको केन्द्र बनाकर मन को एकाग्र करे / शास्त्रों में सम्यग्दर्शन-तत्त्वार्थभ्रद्धान की गुण-गाथा क्यों गाई गई है ? इसीलिए कि प्रात्मदर्शन में पड़ने वाली सड़चनों के समय यदि श्रद्धा न हो तो मनुष्य का मन डगमगा जाता है, और धैर्य टूट जाता है। हमारे सामने जो प्रादर्श वर्तमान है, उसकी सफलता में होने वाले दुःख सांसारिक सुखों से लाख दर्जे अच्छे हैं। यही नहीं वरन् दुनियावी लाभों की अपेक्षा आदर्श की चिन्ता प्रतीय उपयोगी-मूल्यवान् भी है। जैसे तुम्हें अपना दुःख मालूम होता है, वैसा ही दूसरों का दुःख मालूम होना चाहिए / हृदय-भेदन होने पर जैसे तुम्हें मालूम होता है, वैसा ही दूसरों के विषय में समझो / सदा स्मरण रक्खो-"आत्मनः प्रतिकूलानि परेषांत् न समाचरेत् / " अर्थात् तुम्हें जो आचरण अच्छा न लगे वह दूसरों के प्रति भीन करो। कठिन शब्दों के अर्थ - विवेक- भेद विज्ञान / शनैः शनै:- धीरे-धीरे क्रमशः / धज्जियां उड़ाना• छिन्नभिन्न करना / निग्रह. दबाना, काबू में करना / केन्द्र- मुख्य स्थान / गुणगाथा- गुणों का समूह /

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