Book Title: Niti Shiksha Sangraha Part 02
Author(s): Bherodan Jethmal Sethiya
Publisher: Bherodan Jethmal Sethiya

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Page 604
________________ 1136) सेठिया जैन ग्रन्थमा कुसुम कोई 'कुम्हलाया देख, ": बहा देते नयनों से नीर / ... प्रकृति की अहो कृती संतान , तुम्हारा है न कहीं 'उपमान // 6 // राज-महलों का वह ऐश्वर्य, राज-मुकुटों का रत्न-प्रकाश / इन्हीं खेतों की अल्प विभूति, तुम्हारे हल का है मृदु हास / स्वयं सह तिरस्करण अपमान ; अन्य को करते गौरव-दान // 7 // PORN . कठिन शब्दों के अर्थ प्रौदार्यनिधन- उदारता का जाना / जन-संकुल- मनुष्यों भग हुआ। प्रासाद- महल / कुटीर- झोंपड़ी। मंजुल- सुन्दर / पंकप्रलेप-कीचड़ का लेप। समीर- हवा / अंग्रहागरा- अगहन, मगसिर / खलिहान- जहां फसल काटकर इकट्ठी की जाती वरसाई जाती है, वह स्थान 1 गात- शरीर / नियाज- निष्क पट / शस्य- धान, अनाज / खग-कुल गीर- पक्षियों के समूह का मनोहर गान। उपमान- दृष्टान्त मिसाल / तिरस्वरण- तिरस्कार, दुत्कार /

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