________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा [37] www.. के पिता से मंगनी की किन्तु उसने उत्तर में कहानागवसु नागदत्त में अनुरक्त है, इस लिये उसे दे दी है। कोटपाल नागदत्त के छिद्र देखने लगा। सच है दुष्ट लोग अकारण ही बैरी बन जाते हैं। किसी समय राजा का रत्नों से जड़ा हुआ कुंडल खो गया। वह कुंडल कोटपाल को मिल गया। उसने रात के समय नागदत्त के घर जाकर. उसके 'कान में वही कुंडल पहना दिया। प्रातःकाल होते ही नागदत्त को गिरफ्तार करके राजा के पास ले गया। राजाने चोरी के अपराध में उसे सूली पर चढ़ने की मज़ा दी। कोतवाल मूली चढ़ाने की जगह ले गया। किन्तु ज्यों ही नागदत्त को स्लीपर चढ़ाया,त्योंही मूली टुकड़े टुकड़े होगई / कोटपाल ने जल्लादों को तलवार से शिर उतार लेने की आज्ञा दी, किन्तु पुण्य जिसकी सहायता करता है, उसका कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता / नागदत्त को वह तलवार फूल माला सी लगी। जल्लाद यह अचम्भा देखकर चकित होगये और राजाके पास जाकर हाथ जोड़कर सब हाल कह सुनाया / यह हाल सुनकर राजा अपनी भूल पर पछताया और नागदत्त के निकट जाकर सत्कार ".. .