________________ (76) हिन्दी-बाल-शिक्षा पाठ 31 गिरधर की कुण्डलियाँ दौलत पाय न कीजिये सपने में अभिमान / चंचल जल दिन चारि को ठाउँ न रहत निदान // ठाउँ न रहत निदान जियत जग में यश लीजै / मीठे बचन सुनाय विनय सब ही की कीजै // कह गिरधर कविराय अरे यह सब घट तौलत / पाहुन निशिदिन चारि रहत सब ही कै दौलत // 1 // साई सब संसार में मतलब को ब्यौहार / जब लग पैसा गाँठ में तब लगि ताकौ यार // तब लगि ताकौ यार 2 सँग ही सँग डोले / पैसा रहा न पास यार मुख से नहीं बोले // कह गिरधर कविराय जगत को याही लेखा / करत बेगरजी प्रीत यार हम विरला देखा // 2 // झूठा मीठे वचन कहि ऋण उधार ले जाय / लेत परम सुख ऊपजै लैके दियो न जाय // लेके दियो न जाय ऊँच अरु नीच बतावै / ऋण उधार की रीति मांगते मारन धावै // कह गिरधर कविराय रहै जनि मन में रूठा / बहुत दिना तै जाय कहै तेरो कागद झूठा // 3 // रम्भा झूमत हो कहा थोरे ही दिन हेत / तुम से केते है गये अरु है हैं इहि खेत // अरु है हैं इहि खेत मूल लघुशाखा हीने /