________________ (38) सेठिया जैन ग्रन्थमाला अहा! देशसेवा की महिमा बड़ी महान है / यही लौकिक एवं पारलौकिक धर्मो का केन्द्र है। जिस जाति ने अपने बच्चों को सब से पहले देशसेवा की शिक्षा नहीं दी, वह मिट गयी / आज छोटीसी अंगरेज जाति इस देश पर शासन कर रही है इसका क्या कारण है ? यह इसी लिये कि उसका बच्चा बच्चा अपने देश के लिये सर्वस्व निछावर करने को तैयार है / बश्चो ! आज हम तुम्हें यूरप के हालैण्ड देश के एक ऐसे ही बीर और देशभक्त बालक की कथा सुनाते हैं। ____ हालैण्ड जर्मनी के पश्चिम ओर समुद्र के किनारे का एक छोटा देश है / यहां के निवासी डच कहलाते हैं। पहले पहल इन्हीं लोगों ने भारत के साथ व्यापार आरंभ किया था / यदि कोई उनके देश में आये तो वहां उसे अनेक अद्भुत चीजें देखने को मिलेंगी। वहां के निवासिओं में से अधिकांश लकड़ी के जूते पहनते हैं और छोटी लड़किशं अजीब किस्म का टोपियां सर पर लगाती हैं। परन्तु सब से विचित्र हालैण्ड के बंदरगाह + हैं / इनको समुद्री दीवारें भी कह सकते हैं / हालैण्ड हमारे कच्छ : की तरह समुद्र से नीचे की भूमि में स्थित है / इसके तट पर दीवारें बनी हुई हैं। ये दीवार समुद्र देवता की क्रुद्ध तरंगों को पीछे हटाने के लिये हैं। यदि ऐसा न किया जाता तो इस देश के निवासी समुद्र में डूब जाते / वुद्धिमान कारीगरों ने इस देश की रक्षा के लिये इन दीवारों की रचना की है। + वह स्थान जहां जहाज़ टहरते हैं। - काठियावाड़ (गुजरात) के पश्चिम का एक प्रदेश /