________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (63) जनता उनके लाभों को नहीं जानती / इसके अतिरिक्त कुछ शिक्षित और बुद्धिमान व्यक्ति व्यक्तिगत स्वार्थों के लिये अथवा अपढ़ जनता पर अपना रोब गांठने के लिये जनता को नये नियमों से भड़का देते हैं / इसीलिये जो रवाज वर्तमान स्थिति में सर्वथा हानिकर हैं उन्हें छोड़ना भी कठिन हो रहा है। ___ सामाजिक प्रथाएँ सर्वज्ञ द्वारा प्रतिपादित धार्मिक सिद्धांत नहीं हैं जिनमें परिवर्तन की गुंजाइश न हो। वे समाज के नेताओं द्वारा समय की मुविधाओं को देखकर चलायी गयी हैं / समाज के नेता न तो सर्वज्ञ थे, न उन्होंने इन प्रथाओं को सदा के लिये चलाया था। उन्होंने समय तथा परिस्थिति के अनुसार इनमें परिवर्तन करलेने की स्पष्ट प्राज्ञा दी है / जब ये नियम बने तो उनकी जरूरत थी वली परिस्थिति थी। अब जब समाज की परिस्थिति वदल गयी है, नियम भी बदल जाने चाहिए। पहले लोगों के पास अपरिमित धन था, आ कल अपरिमित दरिद्रता है।अब यदि पहले की भांति आजकल व्याह में धन व्यय करने की प्रथा कायम रखी जाय तो ब्याह करना एक आफत होजाय। नियम समाज की सुविधा के लिये बनाये जाते हैं इसलिये नियम समाज के लिये हैं: समाज नियमों के लिये नहीं है। समाज और नियम इन दोनों में समाज ही बड़ी वस्तु है अतएव समाज की रक्षा, कल्याण और सुविधा के लिये उसके नियम बदले जा सकते हैं। केवल नियमों की रक्षा के लिये समाज को कठिनाई भोगने की कोई आवश्यकता नहीं है। समाज के नेता प्राय: श्रीमान् लोग होते हैं। उन्हें प्रार्थिक क.ष्ट नहीं होता अतएव संभव है उन्हें नियमों में परिवर्तन करने