________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा हनुमानजी बन्दर न थे, बरन् हम लोगों से अधिक सभ्य और महात्मा मनुष्य थे / वे जिस बंश में उत्पन्न हुए थे, उस बंश का नाम वानर था। अतः हनुमानजी वानरवंशी थे, पर वानर न थे, यद्यपि विद्या के प्रभाव से अपना रूप वानर सरीखा बना सकते थे / इनकी माता का नाम अंजना और पिता का नाम पवनंजय था / जिस समय हनुमानजी का जन्म हुआ, उस समय सती अंजना शंकाक्श विजन वन में छोड़ दी गई थीं / पुत्र के सत्प्रताप से उस समय सती अंजना के मामा यकायक वहां आ पहुंचे, जहां अंजना अपनी सखी सहित विलाप कर रही थी। सौभाग्यवती अंजना के मामा का नाम प्रतिसूर्य था / प्रतिसूर्य उसे आश्वासन देकर अपने साथ ले गया। मार्ग में, वे सब जिस विमान में जा रहे थे, उसकी छत में रत्नों का एक झूमका लटक रहा था / उस लेने को इच्छा से बालक माता की गोद से उछला। उछलते ही वह नोचे शैत पर जा गिरा, जैसे आकाश से वज्र गिरा हा ! पुत्र के गिरते ही अंजना हाहाकार मचाने और छाती पीटने लगी / रुदन के प्रतिरव से पर्वत को गुफाओं से जो ध्वनि निकलती उससे ऐसा जान पड़ता था कि गुफाएं भी रो-रोकर अंजना का साथ दे रही हैं। शोकाकुल प्रतिसूर्य ने तत्काल ही नीचे उतर कर जो कुछ देखा उससे उसके विस्मय का कुछ ठिकाना न रहा / उसने देखा शैल का चूरा हो गया है / और बालक आनन्द से पड़ा हुआ है ! मालूम होता है तभी से हनुमानजी का नाम वजरंगी (वज्राङ्ग) पड़ा होगा। सच है-जिसने पुराय रूपी कबच को धारण कर लिया है, सामान्य आघात उसका बाल भी टेढ़ा नहीं कर सकते /