________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (107) छोड़नी चाहिए। देश में अतिथि के साथ खाने पीने के मामले में सर्वत्र जवर्दस्ती की जाती है। ज्यादा से ज्यादा खिलाने की इच्छा उत्सवों में प्रायः देखी जाती है / लोग यह नहीं सोचते कि भोजन जीवनधारण करने के लिए आवश्यक है, स्वाद पर वहीं तक ध्यान देना चाहिए जहां तक वह हमारे स्वास्थ्य में बाधा न डाले / खाने के बाद कितने ही लोग पाचक औषध ढूँढ़ते फिरते हैं। ऐसे लोग पेट के नाना रोगों में फंसकर जन्म भर दुःख . उठाते हैं। जिन लोगों को किसी कारण से अधिक भोजन करने का अभ्यास पड़ गया है उन्हें धीरे धीरे अपनी आदत को सुधारना चाहिए और महीने में दी उपवास अवश्य करना चाहिए। इससे लाभ होगा। बहुतेरे हिंदू चौमासे में एक ही समय भोजन करने का ब्रत लेते हैं, इसमें सुखपूर्वक जीवन विताने का रहस्य भरा हुआ है। जब बरसात में हवा में नमी रहती है और सूर्य कम दिखायी देता है तो पेट की पाचन शक्ति दुर्बल पड़ जाती है। ऐसे समय भोजन की मात्रा में कमी कर देना चाहिए। कितनी बार खाना चाहिए, इस विषय पर भी बहुत मतभेद है।भारत में अधिकांश मनुष्य दो बार खाते हैं। तीन और चार घार खाने वाले आदमी भी पाये जाते हैं। गरीबी के कारण एक वक्त भी जिनको ठीक तरह से अन्न नहीं मिलता ऐसे लोगों की संख्या भी इस दीन देश में करोड़ों है / आजकल अमेरिका और इंग्लैण्ड में ऐसी सभाएं स्थापित हो गयी हैं जो लोगों को बतलाती हैं कि दो वार से अधिक नहीं खाना चाहिए / इन सभाओं की सम्मति है कि हमें सबेरे कुछ नहीं खाना चाहिए / हमारीरात भर की नींद खूराक की गरज पूरी कर देती है। इसलिए सबेरे