________________ (108) सेठिया जैन ग्रन्थमाला ~ ~~~~~~~~ हमें खाने के लिए नहीं वरन् काम करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए / ऐसे विचार के लोग दिन में दो ही समय खाते हैं और बीच में चाय इत्यादि भी नहीं पीते / इस विषय में ड्यूई नामक एक बहुत ही अनुभवी डाक्टर ने एक पुस्तक लिखकर उपवास करने, सबेरे नाश्ता न करने और फल खाने के लाभ बड़ी उत्तमता से दिखलाए हैं / युवावस्था बीत जाने पर तो कदापिदो बार से अधिक न खाना चाहिए। पाठ 31 वाँ महापुरुष हनुमानजी पूर्व महापुरुषों के विषय में जनसाधारण में अनेक भ्रम फैले हुए हैं / बहुतेरे विद्वान भी उन महात्माओं के यथार्थ जीवनतत्व से अपरिचित है। जितना विपर्यास हनुमानजी रावण आदि के व्यक्तित्व में हुआ है, उतना शायद ही कहीं भाग्य से मिलेगा। बहुधा लोग रावण को राक्षस और हनुमानजी को बन्दर समझते हैं। किन्तु वस्तुस्थिति इससे बिलकुल विपरीत है। हम यहां हनुमानजी का परिचय करावेंगे। ___महापुरुषों में हनुमानजी का नाम इतना प्रख्यात है कि हिन्दुओं का बच्चा बच्चा उसे जानता है / लेकिन किसी से पूछो कि हनुमानजी कौन थे, तो वह चटपट कह उठेगा-~-बन्दर थे। इसलिए यह कहना अनुचित नहीं कि हनुमानजी का नाम तो सब जानते हैं, किन्तु हनुमानजी को कोई विरले ही जानते हैं। बालको!