________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा - (111) की जोसहायता की, उसकी तुलना इतिहास में मिलना कठिन है। सबसे पहले रामचन्द्रजी का संदेश और अंगूठी सीताजी के पास और सीताजी का चूडामणि रामचन्द्रजी के पास इन्होंने ही पहुँचाया था। हनुमानजी की वीरता उनके जीवनवृत्तान्त में पद पद पर प्रस्फुटित होती है। जब वे राम का संदेश लेकर सीताजी के पास गये और सीता ने रावण के भय से उन्हें तुरंत लौट जाने को कहा, तो हनुमानजी मुसकिराकर बोले-"माता! वात्सल्य के कारण ही तुम ऐसा कह रही हो / त्रिलोकविजेता श्री रामचन्द्रजी का मैं दूत हूँ, रावण और उसकी सारी सेना मेरे सामने नगण्य है / यदि श्राज्ञा हो तो रावण को मार, उसकी सेना को बिन्न-भिन्नकर अपने कंधों पर बिठाकर आपको रामचन्द्रजी के पास ले चलूं / ' सीता ने उन्हें रोक दिया, तो भी जाते २रावण के बगीचे को नष्ट करके गतस वंशियों को अपना पराक्रम दिखला दिया और सामना करने वाले रावण के पुत्रों को यम-धाम पहुँचाया / इस प्रकार रामचन्द्रजी की एक बड़ी चिन्ता हनुमानजी ने दूर की। जब हनुमानजी सीता का संदेश लेकर रामचन्द्रजी के पास पहुच तो गमचन्द्रजी ने रावण पर आक्रमण कर दिया। उस युद्ध में हनुमानजी ने रामचन्द्रजी की बड़ी सहायता की थी / राम न उनके कार्यकौशल स्वामिभक्ति, और वीरता से प्रसन्न होकर 'श्रीपुर' का राज्य भेंट देकर उनकी गौरवश्री बढ़ाई / .. हनुमानजी ने बहुत दिनों तक राज्य किया। किसी समय उन्हें सूर्य को अस्त होते देख संसार मे विरक्ति हो उटी / उन्होंने सोचा- "अहो! इस संसार में सब का उदय के पश्चात् अस्त होता है / सूर्य का दृष्टान्त इसके लिए प्रत्यक्ष प्रमाण है।