________________ (104) सेठिया जैन ग्रन्थमाला निन्दा करने वालों को तू निन्दा ही करने दे। उन्हें उत्तर मत दे। जो निर्धन हैं वे धन्य हैं क्योंकि वे त्रिभुवन के स्वामी हैं। ... जब तुम फौज में भरती होकर और खाकी पोशाक पहन कर हत्या करते हो तब तुम्हारी प्रशंसा होती है। परन्तु क्या बढ़िया पोशाक पहनने से ही हत्या बढ़िया हो जाती है? मारने में तो वीरता हो ही नहीं सकती। चाहे एक मनुष्य की हत्या हो चाहे एक जाति या सेना की हत्या हो, सब एक समान निन्द्य हैं। पाठ 30 वाँ कितना और कितनी बार खाना चाहिए? इस विषय में डाक्टरों में मतभेद है कि कितना खाना चाहिये / एक डाक्टर की राय है कि खूब खाना चाहिये / इन्होंने भिन्न भिन्न प्रकार के भोजनों का उनके गुणों के अनुसार वजन भी नियत कर दिया है। दूसरा कहता है कि शारीरिक और मानसिक श्रम करने वालों के भोजन परिमाण और गुण दोनों दृष्टियों से भिन्न होने चाहिए / तीसरे का मत है कि राजा रंक