________________ (103) कठिन शब्दों के अर्थ। वारे कौ- दूसरी जगह का / चौमुख बनौ बजार है- चौपड़ का बाजार है, पक्ष में चार गति वाला संसार है / इते- यहां / बिजोय- बो। पोत- कर, लगान / सालि- धान / बिहंग- पक्षी / कटीली- कांटे वाली। डार- डाली, टहनी / लुवें- (लू का बहु वचन) गरम हवा / जैहै ताए- तप जावेंगे। मोदनिधान आनन्द का खजाना / निकाय समूह / बरजोर-जबरदस्त, लुटेरा ।खगन- पक्षियों। तोय- पानी, जल / एहै- आवेगा। काहल- मैला / मति- नहीं, जिन / पाठ 29 वाँ अमृत-वाणी (पाल रिशार नामक विद्वान के विचार) मृत्यु जीवन का दूसरा रूप है, जिस प्रकार जीवन मृत्यु का दूसरा रूप है। (2) आज का जो कर्म है, वही कल का भाग्य है। .. (3) / तू अपने शत्रुओं से प्रेम कर / इससे तेरा कोई शत्रु रहेगा ही नहीं / शत्रु से प्रेम करना हो उसे हटा देना है / अपने धिक्कारने चाले पर यदि तूप्रेम की वर्षा करता रहेगा तो वह तेरा बिगाड़. ही क्या सकेगा?