________________ सेठिया जैन ग्रन्थमाला AmravAvM पाठ 24 वाँ आत्मा की सिद्धि बच्चो! बहुत लोग कहा करते हैं कि आत्मा कोई चीज़ नहीं है। किन्तु विचार करने पर इसका अस्तित्व जान पड़ता है। यह तो सभी अनुभव करते हैं कि शरीर से भिन्न भी कोई चीज़ हममें अवश्य है। आज कल के अनेक पश्चिमीय वैज्ञानिकों ने इतनी उन्नति की है कि वे विभिन्न कल पुरजों के सहारे स्वतः कार्य करने वाले यन्त्र बना लेते हैं पर ये यन्त्र भी केवल एक ही काम कर पाते हैं, जिसके लिये वे बनायें जाते हैं / इसके अतिरिक्त उनमें सोचने समझने परिस्थितियों पर विचार करके वैसा कार्य करने की शक्ति नहीं होती। इसका कारण स्पष्ट है / ऐसा समय आ सकता है जब बड़े बड़े वैज्ञानिक और डाक्टर शरीर की रचना कर दें किन्तु सर प्राणिसमूह को स्वतंत्र रूप से चलाने वाला जो नित्य प्राणप्रवाह है उसे कोई जड़ वस्तुओं के संमिश्रण से नहीं बना सकता / जह के संयोग से जड़ पदार्थों की ही उत्पत्ति हो सकती है / चेतन को नहीं / यही प्रागा जिसमें पाये जाते हैं वहीं चेतन आत्मा है। - लोग पूछेगे कि यदि प्रात्मा जड़ पदार्थों के संयोग से पैदा नहीं होती तो फिर किस तरह उतान्न होती है ? / ऊपर प्रात्मा का जो लक्षण बताया गया है उसी पर विचार करने से इसका उत्तर स्पष्ट हो जाता है और वह यह कि आत्मा उत्पन्न होती ही नहीं / उत्पन्न वह चीज़ होती है जो न हो किन्तु श्रात्मा सदा से है और सदा रहेगी। जब शरीर, जो