________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा तो आपकी बात मान्य हो सकती है अन्यथा मेरी यही बात ठीक है कि आत्मा और शरीर एक है। के००- नरेश! तुम्हारे अन्दर जानने की शक्ति है पर क्लोरो फार्म सुधा देने से वह दब जाती है / उसी प्रकार श्रात्मा में अनन्त शक्ति है पर वह कर्म रूपी क्लोरोफार्म से दबी हुई है। मान लो , समान बल वाले दो युवक हैं / एक के पास नई और मजबूत कावड़ है और दूसरे के पास पुरानी और कमजोर / क्या वे दोनों बराबर बोझ उठा सकते हैं ? प्रदे०-- नहीं, महाराज के०७०---- बस / इसी प्रकार बालक वृद्ध और युवा तीनों की मात्माएँ शक्ति रखते हुए भी बराबर भार नहीं वहन कर सस्ती / प्रदे०--- महासन् ! किसी समय हमारा कोतवाल एक चोर पकड़ कर मेरे पास लाया। मैंने तलवार से उस चोर के टुकड़े टुकड़े करके उसमें आत्मा को बहुत खोजा पर वह कहीं न दिखायी दी / तब फिर मैं कैसे उसे शरीर से भिन्न मानू ? केश्र०- राजन् ! यह में पहले ही कह चुका हूँ कि आत्मा श्रमूर्तिक है और जो अमूर्तिक है उसे तुम कैसे देख सकते हो ? चकमक पत्थर में अग्नि होती है, चारणी की लकड़ी से भी अग्नि प्रज्वलित की जाती है, फूल में सुगंध होती हैं किन्तु चकमक, अरणी की जकड़ी या फूल के टुकड़े करके भी तुम उनमें