________________ सेठिया जैन ग्रन्थमाला - - - यह कार्य विचारवान युवक भलीभांति कर सकते हैं। उन्हें नवीनता और प्राचीनता का मोह छोड़कर सत्य की खोज करनी चाहिये। सत्य सर्वत्र है, उदार अन्वेषकों की आवश्यकता है। कठिन शब्दों के अर्थ उक्ति- कहावत / प्रतीत- मालूम, ज्ञात / प्रगति- चाल / परम्परा- बहुत दिनों से, एक के बाद एक / आरोप- दोष, अपराध / ममत्व- अपनापन, स्नेह / पद्धति- रीति, प्रथा / गुंजाइश- जगह,आवश्यकता / श्रीमान् --धनी / क्षुद्र- छोटा। निर्धारगा- निश्चय / अवहेलना- उपेक्षा, निन्दा / विकार- बुराई, दोष / तात्पर्य- मतलब / भर्त्सना- निन्दा / अन्वेषक-खोजकरनेवाला / पाठ 20 वाँ जैनों की आस्तिकता किसी विषय में मतभेद होना उतना बुरा नहीं है जितना मतभेद का घृणास्पद रूप। धार्मिक विषयों में कल्पनातीत मतभेद है, पर यदि वह शुद्ध मतभेद ही होता तो उससे इतनी हानि न होती जितनी संसार को उठानी पड़ी है / इस हानि से बचने की इच्छा के कारण कितने ही युवकों को धर्म से ही घृणा होती जाती है / वे सोचते हैं:"म रहेगा बास न बजेगी बासुरी"-न धर्म रहेगा, न उसके