________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा मतभेद से होने वाली हानिया होंगी परन्तु यह धारणा गलत विचारों पर अवलम्बित है। संसार में कोई ऐसी वस्तु नहीं जिसका किसी न किसी रूप में दुरुपयोग न होता हो / इससे उन वस्तुओं को ही नष्ट करदेना क्या उचित है? कुछ लोग गोहत्या करके गायों का दुरुपयोग करते हैं इस से गोवंश का ही नाश कर दिया जाय, ऐसा कोई विचारवान व्यक्ति नहीं कहस कता। कुछ लोगों ने यदि शास्त्रों या धर्म का दुरुपयोग किया है तो इस से धर्म का ही लोप कर देना उचित नहीं / ऐसा करने वाले तो उसका दुरुपयोग करने वालों से भी अधिक अपराधी हैं / हा. यह मानने से कोई इन्कार नहीं करसकता कि बहुतेरे मतोन्मत्तों ने अपने तथा दूसरे धर्मो को विकृत करने की चेष्टा की है / जैनधर्म ऐसे धर्मों में से एक है जिनपर अगणित असत्य आक्षेप हुए हैं / एक सब से बड़े आक्षेप पर इस पाठ में विचार करना है / वह नास्तिकता का आक्षेप है / जब जैनों ने वेदों का विरोध किया तो जनता का विश्वास वेदों से उठ ने लगा / इस से ब्राह्मणों में बड़ा क्षोभ मचा। अन्त में उन्हों ने एक ऐलो युक्ति निकाली कि लोग वेदों पर अविश्वास न करें / वह युक्ति यह थी कि जो वेद को नहीं मानते उन्हें नास्तिक कहने लगे। इसीलिये नास्तिक का जो असली अर्थ (जो परमात्मा को न माने)था उसपर हरताल फेर कर मनगढन्त लक्षण बनाया--"नास्तिको वेदनिन्दकः"--अर्थात् वेद की निन्दा करने वाला नास्तिक है / तब से लेकर आजतक जैनियों पर प्रायः यह आक्षेप किया जाता है कि वे नास्तिक हैं परन्तु यदि जैनधर्म को नास्तिक धर्म कहा जायगा तो संसार का एक भी धर्म श्रास्तिक न कहला सकेगा।