________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (77) दोनों सिरों पर गेंद सा गोला और बीच में पतला एवं लम्बा। इसको हाथ में लेकर घुमाते और कसरत करते हैं / बीच में स्प्रिंग होते हैं / उन्हें दबाने से कलाई पर जोर पड़ता है / धाक- आतंक, रोब / पाठ 22 वाँ गुरुजी-मोहन ! इस लेखनी से पूछो कि यह क्या है ? मोहन- गुरुजी ! लेखनी यह कैसे बतायेगी ? वह न तो सुन सकती है, न बोल सकती है / गुरु०- यह सुन नहीं सकती, जान सकती है ? मोहन- नहीं। गुरु०- क्यों ? तुम जान सकते हो और यह लेखनी नहीं जान सकती, इसका क्या कारण है ? मोहन विचार में पड़ गया / वह यह तो जानता था कि लेखनी जान नहीं सकती अर्थात उसमें| शान शक्ति नहीं है, पर वह यह नहीं जानता था कि क्यों नहीं है ? वह सोच ही रहा था कि गुरुजी ने दूसरे लड़के से कहा-"महेन्द्र ! तुम बता सकते हो कि लेखनी क्यों जान नहीं सकती?" महेन्द्र- नहीं साहब ! आप ही बताइये। गुरु०- देखो, छोटी छोटी बातों पर-जो नित्य हमारे देखने में पाती हैं-विचार करना चाहिये / लेखनी नहीं जान