________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा _ (39) अब यह समझना बटुत आसान है कि डच लोग इन दीवारों की रक्षा तन मन धन से क्यों करते हैं। वे जानते हैं कि उनके घर उनके लाडले बच्चे समुद्र की भेंट हो जायंगे, यदि इन दीवारों की रक्षा न की जायगी। बहुत दिन हुए कि एक डच बालक पीटर अपने घर के बाग में खेल रहा था। उसकी माता ने घर के अन्दर से आवाज दी और कहा-"पीटर! आओ अपनी दादी के लिये यह पनीर छेना का डब्बा ले जाओ / देखो, इसे मैंने बड़ी मेहनत से बनाया है। इसे लेकर सीधे दादी के घर जायो, रास्ते में खेलना नहीं और शीघ्र लौट आना ताकि तुम अपने पिता के साथ शाम को भोजन कर सको।" पीटर ने एनीर के छोटे डब्बे को लिया और अपनी दादी के घर की ओर चला। रास्ते में उसने कहीं अपना समय खेल कूद में नष्ट नहीं किया, न फूल ही चुने / वह सीधा अपने मार्ग पर चला गया और अपनी माता की आज्ञा के अनुसार दादी के घर पहुँचकर पनीर का डब्बा उसके हवाले किया / इतने में अँधेरा हो चुका था। ____ अपनी दादी से छुट्टी लेकर वह फिर घर की ओर लौटा / जिस रास्ते से लौटना था, समुद्री दीवार उसके पास ही थी / उसने और छोटी अवस्था में पिता से कई बार सुना था कि सैकड़ों हजारों मनुष्यों के परिश्रम द्वारा समुद्री दीवारें तैयार हुई हैं और देश का जीवन इन की रक्षा पर निर्भर है। हैं ! यह क्या? उस सुनसान अंधकार में टप टप शब्द उसके कान में पड़ा / वह चौकन्ना होकर सुनने लगा, उसको छाती धड़कने लगी।