________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (47) जाता है / बहुत से लोग समझते हैं कि उपवास से मानसिक शक्ति की हानि होती है पर यह उनका भ्रम मात्र है / यह तो शारीरिक दृष्टि से उपवास का विवेचन हुआ परन्तु धार्मिक दृष्टि से भी इसका महत्व कम नहीं है / उपवास से मन की शुद्धि का निकट सम्बंध है इसीलिये संसार के सभी प्राचीन धर्मों में इसका विशेष विधान है / जैन, हिंदू,इस्लाम और ईसाई धर्म में इसका बड़ा माहात्म्य है। . निराहार उपवास का ही सब मतों में उल्लेख है पर आज़कन अधिकांश व्यनि. धार्मिक त्योहारों पर जो उपवास करते हैं उन्हें एक प्रकार का ढोंग ही कहा जासकता है / फलाहार की सुविधा का आश्रय लेकर लोग सिंघाड़ा,दृध,हलवा तथा तरह 2 के माल पर खूब हाथ माफ करते हैं / यहां तक कि और दिनों मे भी अधिक खा जाते हैं। अब तो सिंघाड़े की पकौड़ियां, जलेबी, पूरियां,तिन्नी के चावल, ग्वीर, पेड़,बफियां तथा नाना प्रकार की मिठाइयां भी फलाहार के नाम पर पेट के अंदर पहुँचायी जाती हैं / कितने ही मुसलमान गजे के दिनों में रात को दिन के बदले में भी खूब खालेते हैं / जिन न्योहारों को निराहार व्रत का विधान है उनमें प्रातःकाल होने के पूर्व रात को ही उठकर लोग खूब खालेते हैं / इस प्रकार के आचरण से लाभ के बदले हानि की ही अधिक संभावना रहती है। इससे पेट को गज के जैसा या उससे भी अधिक काम करना पड़ता है। इससे इन्द्रियदमन भी नहीं हो सकता। जो लोग उपवाल से किसी प्रकार का लाभ उठाना चाहते हैं, उन्हें निराहार ध्रत करना चाहिये / और व्रत के पहले तथा बादवाले दिन को भी बहुन साधारण भोजन करना चाहिये / जिनका शरीर कम