________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा प्रिय तुम्हें यदि मान महत्व है। यदि तुम्हें रखना निज नाम है , जगत में करना कुछ काम है। मनुज! तो श्रम से न डरो, उठो, .:.. पुरुष हा पुरुषार्थ करो, उठी // 7 // . प्रकट नित्य करो पुरुषार्थ को, .. ... हृदय से तज दो सत्र स्वार्थ को। . यदि कहीं तुमसे परमार्य हो , ... यह विनश्वर देह कृतार्थ हो। सदय हो पर-दुःख हरो, उठो, ... पुरुष हो, पुरुषार्थ करो उठो // 8 // . . अर्थ कठिन शब्दों के अर्थ प्रगति- उन्नति, आगे बढ़ना, विकास | अपवर्ग-- मुक्ति, निर्वाण, मोक्ष / क्रियता-- मान्यता, गति, सफलता / कृमि- कोट- कीड़े मकोड़े / विपुलबहुत / जलधि-(जल+धि)समुद्र / नभ-याकाश / धरा-पृथिवी ।ध्रुव-निश्चित स्थिर / विनश्वर-नष्ट हो जाने वाला या वाली। .. पाठ 14 वाँ उपवास भारतवर्ष के इतिहास में कदाचित् ही कोई धर्मगुरु या महात्मा पैसा मिले जिसके जीवन में थोड़े बहुत उपवासों की