________________ सेठियाजैनप्रन्थमाला ताहू पर गज रहै दीठि तुम पै प्रति दीने // बरनै “दीन दयाल हमें लख होत अचम्भा / एक जन्म के लागि कहा कि झूमत रम्भा // 4 // कोई संगी नहिं उतै है इतही को संग / पथी लेहु मिलि ताहि तें सबसों सहित उमङ्ग // सबसों सहित उमङ्ग बैठि तरनी के मांहीं / नदिया नाव संयोग फेरि यह मिलि है नांहीं // वरने "दीनदयाल' पार पुनि भेट न होई / अपनी अपनी गैल पथी जैहैं सब कोई // 5 // बेगरजी- निस्वार्थी. धाव- दौड़े. रम्भा-- केला. खेत- भूमि, खेती की जगह. पथी- मुसाफिर. तानी- जहाज गैल-मार्ग // इति सम्पूर्णम् // पुस्तक मिलने का पता. अगरचंद भैरोंदान सेठिया. जैन लायब्रेरी (शास्त्र भण्डार) बीकानेर (राजपूताना)