________________ सेठिया जैन ग्रन्थमाली पुरी प्रांत त्यों देश भी है हमारा / सभी ठौर है जन्म-भू का पसारा॥ जिसे जन्म की भू सुहाती नहीं है / जिसे देश की याद आती नहीं है / कृतघ्नी महा कौन ऐसा मिलेगा। उसे देख जीक्या किसी काखिलेगा। धनी हो बड़ा या बड़ा नाम धारी। नहीं है जिसे जन्म की भूमिप्यारी॥ वृथा नीच ने मान सम्पत्ति पाई। बुरे के बढ़े से हुई क्या भलाई // जिन्हें जन्म कीभूमि का मान होगा। उन्हें भाइयों का सदा ध्यान होगा। दशा भाइयों की जिन्होंने न जानी। कहेगा उन्हें कौन देशाभिमानी // कई देश के हेत जी खो चुके हैं / अनेकों धनी निर्धनी हो चुके हैं // कई बुद्धि ही से उसे हैं बढ़ाते / यथा-शक्ति हैं वे ऋणों को चुकाते॥