________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा (31) ~~~~~~~~~~ ~~~ ~ वीर०-मुर्दा शरीर में देखने की शक्ति नहीं रहती। माता-हां, जैसे नेत्र देखते हैं पर उनके लिये किसी दूसरी शक्ति की भी आवश्यकता होती है / वैसे ही सफलता परिश्रम करने से मिलती है,परन्तु किसी दूसरी शक्ति की भी जरूरत होती है। वह शक्ति 'कर्म' है जिसे लोग भाग्य कहा करते हैं / जव 'कर्म' परिश्रम के अनुकूल होता है तभी हमें सफलता प्राप्त होती है / देखो ज्ञानपाल और मोहनलाल दोनों साथ साथ पढ़ते थे / उनमें मोहनलाल परीक्षा के समय अस्वस्थ हो गया / यह कर्म का माहारम्य है अन्यथा वह भी उत्तीर्ण हो जाता / उसने क्या कम श्रम किया था? वीर०-मां : तुम कहती हो कर्म को भाग्य कहते हैं पर मैंने पढ़ा है कि 'कर्म' कार्य या काम को कहते हैं। माता-बेटा! एक शब्द के अनेक अर्थ होते हैं / जैन धर्म और साहित्य में 'कर्म' शब्द का उपयोग प्रायः भाग्य के अर्थ में होता है / बताओ, लाल शब्द का क्या अर्थ है ? वीर०-एक तरह का रंग होता है। माता-और कुछ तो नहीं होता? "उठो लाल, आंखों को खोलो" यहां लाल का क्या अर्थ है ? वीर०-प्यारा पुत्र / माता-तो लाल शब्द के दो अर्थ हुए / इसी तरह कर्म शब्द के भी अनेक अर्थ हैं। उनमें से एक भाग्य भी है / संभव है भिखारी ने विद्याध्ययन में परिश्रम किया हो पर कर्म