________________ सेठिया जैन ग्रन्थमाला (5) आयु-जो किसी शरीर में प्रात्मा को रोक रक्खे / (6) नाम-जो शरीर की अच्छी बुरी रचना करे। (7) गोत्र-जिससे उच्च नीच कुल का भेदभाव उत्पन्न हो। (8) अन्तराय-जो लाभ, भोग, उपभोग, दान और __ आत्मा के बल में विघ्न उपस्थित करे / कठिन शब्दों के अर्थ / विस्मित-- आश्चर्य से पूर्ण | काला अक्षर भैंस बराबर- अक्षर का ज्ञान न होना / गहागत- घर आया हुअा / अतिथि-मेहमान / देहावसान- मृत्यु / असाध्य- जो पुरा न हो सके / पाठ 11 वाँ सुख को पथ (यूनान के प्रसिद्ध तत्त्वज्ञानी महात्मा एपिक्टेटस के उपदेश) १-"मेरी जो इच्छा है वही हो" इस प्रकार आकांक्षा न करके यदि तुम ऐसा विचार करो कि "चाहे जिस प्रकार की घटना हो, मैं उसे प्रसन्नतापूर्वक ग्रहण करूँगा" तो तुम सुखी होगे। २-रोग शरीर की ही बाधा है, वह आत्मा की बाधा नहीं है। यदि उसमें प्रात्मा की सम्मति हो तभी वह आत्मा की बाधा