________________ सेठिया जैन ग्रन्थमाला होनी चाहिए / रोग जान लेने से ही रोगी नीरोग नहीं हो सकता, औषध सेवन की भी आवश्यकता है / इसी लिये प्रभु ने कहा है"ज्ञान-क्रियाभ्याम् मोक्षः" (अर्थात् ज्ञान और तदनुकूल चारित्र से मुक्ति मिलती है)। जीवनकाल परिमित है / उसे सफल बनाने के लिये बहुत समय और परिश्रम की आवश्यकता है। शीघ्रता करो, फिर पछ• तावा न रह जाय। (10) जब से तुम जन्मे हो तभी से तुम्हारा जीवन प्रतिक्षण कम होता जाता है / तुम्हें मालूम है? तो मन लगाकर कर्तव्यपालन में लग जाओ। कठिन शब्दों के अर्थ उन्मत्त- पागल / तिरस्कार- उपेक्षा, घृणाप्रकाश / उत्कर्ष- बढ़ती, उन्नति / नश्तर- फोड़े इत्यादि का दृषित रक्त एवं सड़ा गला मांस निकालने के लिये अस्त्र से उसे चीरना। अर्वाचीनता-- नवीनता / हेय-- त्याग करने योग्य / उपादेय-- लाभ कारी, ग्रहण करने योग्य / इतिश्री- अन्त, समाप्ति / अनवस्थित--अनिश्चित /