________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा जहां की मिली वायु है जीवदानी / जहां का भिदा देह में अन्नपानी // भरी जीभ में है जहां की सुवानी / वही जन्म की भूमि है भूमि-रानी॥ (3) लगी धूल थी देह में जो हमारी / कभी चित्त से होसकेगीनन्यारी॥ बनाती रही देह को जो निरोगी / किसे धूल ऐसी सुहाती न होगी। . (4) पिला दूध माता हमें पालती है। हमारे सभी कष्ट भी टालती है। उसी भांति है जन्म की भू उदारा। सदा सङ्कटों में सुतों का सहारा // कहीं जा बस चाहता जी यही है। रहे सामने जन्म की जो मही है / नहीं मूर्ति प्यारी कभी भूलती है। वटा लोचनों में सदा झूलती है। यथा इष्ट है गेह त्यों ही पुरा है / नहीं एक अच्छा न दूजा बुरा है॥