________________ सेठिया जैन प्रन्यमाला चारित्रवानों को स्वाभाविक भक्ति होती है। मनोविज्ञाम शास्त्र का यह नियम है कि जैसी वस्तु का विचार किया जाय या जिसको निरन्तर कामना की जाय कालान्तर में वैसी ही मनोवृत्ति हो जाती है / इस नियम से ईश्वर का विचार और ईश्वरत्व की कामना करने से ईश्वरत्व को प्राप्ति होती है। - कठिन शब्दों के अर्थ रोग-प्रेम / द्वेष- जलना, घृणा / निर्माण - रचना | दुराचारी- बुरे प्रावणापाखे / समुदाय- समूह, ढेर / निसर्ग- प्रकृति / आध्यात्मिक- प्रात्मा सम्बन्धी / उत्कर्ष-. उन्नति, विकास, ऊँचे उठना / मनोविज्ञान- शास्त्र- वह प्रणाली जिसके द्वारा कुछ निश्चित सिद्धांतों के आधार पर मन की भित्र सि वृत्तियों और तर्कणामों का ज्ञान प्राप्त किया जाता है। पाठ 5 वाँ। जन्म-भूमि। जहां जन्म देता हमें है विधाता। उसी ठौर में चित्त है मोद पाता // जहां हैं हमारे पिता बन्धु माता / उसी भूमि से है हमें सत्य नाता //