________________ सेठिया जैन ग्रन्थमाला मनुष्य अधिक काल तक जीवित रह सकता है। मरना जीना घश की बात नहीं, तो भी मनुष्य की बुद्धि ऐसी क्षमताशालिनी है कि उसके द्वारा विचार कर व्यवहार करने से वह अधिक काल तक जीवित रह सकता है। हमारे पूज्य आचार्यों ने योगविद्या का आविर्भाव करके स्वास्थ्य विद्या का प्रबल ज्ञान प्राप्त किया था। अमेरिका और यूरप में दीर्घ जीवन कैसे प्राप्त हो सकता है, इस विषय पर अच्छी अच्छी पुस्तकें लिखी गयी हैं। जर्मनी के प्रसिद्ध डाक्टर ड्यू फिलटाड तथा और और महाशयों ने इस विषय पर अपने अच्छे विचार प्रकट किये हैं। . जीवन बढ़ाने की कला में और डाक्टरी या वैद्यक में बड़ा अन्तर है। वैद्यक के द्वारा मनुष्य को नीरोगता प्राप्त हो सकती है। जीवन बढ़ाने की कला दीर्घ-जीवन दान करती है / अनेक औष. थियों के सेवन करने से मनुष्य तात्कालिक स्वास्थ्य-लाभ कर सकता है, परन्तु इससे उसके जीवन की डोरी कट कट कर छोटी होतो जाती है / इस कला के विचार से अनेक रोग ऐसे हैं जिन के होने से मनुष्य की आयु बढ़ती है। इस के नियम ऐसे तत्वों पर स्थिर हैं जो विज्ञ मनुष्यों की बुद्धि से जीव-शक्ति के लिए लाभकारी सिद्ध हैं। नीचे ऐसे ही विचारों को लिखा जाता है जो इस जीवन बढ़ाने की कला के मर्मक्षों ने वर्षों के परिश्रम और अनुभव से प्राप्त किये हैं। ये सब नियम स्वास्थ्य वर्द्धक और शरीर को दृढ़ करने वाले हैं / शरीर और अन्तःकरण की दृढ़ता से ही मनुष्य दीर्घजीवी बन सकता है / मनुष्य में जो जीवन शक्ति व्याप्त है वह प्रकृति की सब शक्तियों से अधिक बलवती है। कुछ ऐसे कारण हैं जिन से यह शक्ति हीन और नष्ट हो जाती है। उन कारणों से मनुष्य को अ.