________________ सेठिया जैन PARTME हुए आशान्वित सारे लोग। घटने लगा अधर्म कुरोग। पृथिवी चिल्ला उठी नाथ! अब हरिये मेराभार। हुश्रा भारत में नव अवतार॥ दुमा भारत में नव अवतार। पशु, निर्बल, प्रबला,शूद्रों की प्रभु ने सुनी पुकार॥हुप्रा०॥ - लाखों पशु मारे जाते थे। " मुख में त्रण रख चिल्लाते थे। कहीं नहीं कोई देता था उन पर कुछ भी ध्यान / .. शोणित से रँगता जाता था सारा जगत् महान॥ . लगे मिटने हिंसा के काण्ड / 'दया से गूंज उठा ब्रह्माण्ड // मिटी गर्जना और सुन पड़ी करुणा की झंकार / ....... हुआ भारत में भव अवतार // हुमा भारत में नव अवतार। "हादी गयी सभी दीवारें रहा न कारागार ॥हुप्राणी . 'जग में बजा साम्य का डंका। मन की निकल गयी सब शंका॥ घृणा और विद्वेष न ठहरे सजा प्रेम का साज। बैठे पास पिता के चारों भाई मिलकर प्राज॥ . . . .