________________ सेठियाजैनग्रन्थमाला अगर तुम विद्या बुद्धि चाहते हो, निरन्तर निडर रहना चाहते हो, न्याय-मार्ग में चलना चाहते हो, दुर्जनता छोड़ना चाहते हो, पुण्यवान होना चाहते हो, अशुभ कर्मों को रोकना चाहते हो. यहां तक कि मुक्ति चाहते हो, तो गुणी सज्जनों का संग करो / खराब आदमियों का संग छोड़ो / कहा है.-- सज्जनसंगति के किये, उन्नत है सब लोय ! कमलपत्र पर जल कणा, मुक्ताफल सम होय // 1 // चंदन शीतल जगत में, तातें शीतल चंद / चंदन चंदा ते अधिक, साधु-संग सुख कंद // 2 // तेजस्वी के संग तें, छद्र तेज युत होय / ज्यों दर्पन रवि किरन तें, दहन शक्ति अवलोय // 3 // साध्य करै दुःसाध्यको, सत्संगति वश मंद / पुष्प मंग शिव सिर चढ़ी, चिउंटी चूमें चंद // 4 // जो सत्संगति करत है, सो है अति मतिमान / मान प्रतिष्ठा यश लहै, करहि सकल कल्याण // 5 // सत्संगति के योगते, खल सजन हो जाय / ज्यों पय के संयोग जल, पय सम उज्वल थाय // 6 // सजन की संगति किये, मूढ़ होय गुण धाम / स्वाति बिन्दु सीपहिं परे, मुक्ताफल परिणाम // 7 //