________________ सेठियाजेनप्रन्थमाला करने से जीवों की हिंसा होने का डर रहता है। कहते हैं, भगवान् की दीक्षा के बाद उन पर बड़े भयानक उपसर्ग आये थे। उन्हें पढ़कर हमारा हृदय कांपने लगता और हृद्य से 'बाह ! ' निकल जाती है। ___एक बार भगवान् "कुमार" नामक किसी गांव के पास के जंगल में ध्यान में खड़े थे। इतने में एक गुवाल दो बैल साथ लिये हुए वहां से निकला / उसे कोई आवश्यक कार्य था, इस कारण वह बैलों को बहीं छोड़कर चला गया। इधर बैल चरते 2 दूसरी जगह चल दिये / ग्वाला लौटकर आया / उसने देखा-बैल गायब हैं। उसने महावीर से पूछा, परन्तु उन्हों ने कुछ उत्तर न दिया क्योंकि वे ध्यान में प्रारूढ़ थे / ग्याला निराश होकर बैलों की टोह में भटकने लगा / इधर बैल भी चरते 2 फिर भगवान के पास आबैठे / ग्वाला घूमघामकर वापिस लौटा तो देखता क्या है कि महावीर के पास ही बैल बैठे हैं / यह हाल देखकर उसने सोचा-यह बाबा जी मेरे बैलों को उड़ा लेजाना चाहता है / इसकी नियत खराब मालूम होती है। यह सोचकर वह भगवान् को मारने लगा। जब इन्द्रको यह घटना मालूम हुई तो वह तुरन्त ही भागा हुआ पाया और ग्वाले को समझा बुझाकर वहां से रवाना किया। फिर इन्द्रने प्रार्थना की " हे देव ! बारह वर्षों तक आप पर ऐसे ही कठिन कठिन उपसर्ग आने वाले हैं। यदि आप आज्ञा देवें तो यह श्रापका सेवक सदा आप के साथ रहे" / भगवान् ने उत्तर दिया--" इन्द्र! तोर्थकर कभी दूसरों का प्राश्रय नहीं लिया करते। वे अपनी ही भुजाओं से संकटों के समुद्र को पार करते हैं। सचमुच जिन्हें शरीर से रंचमात्र भी ममता न हो, वे दुःखों से