________________ हिन्दी-बाल-शिक्षा पाठ 20 व्यापार व्यापार के लिये जिन आवश्यक बातों का उल्लेख पहले किया गया है, उनके सिवा और भी बहुत बातें ऐसी हैं जिन्हें व्यापारी को जानना चाहिए / पहले लिखे हुए गुणों को यदि कोई व्यापारी प्राप्त कर लेवे, किन्तु उसके पास पूंजी न हो, तो व्यापार नहीं किया जासकता / पूंजी व्यापार का प्राण है / खरीदना व्यापार का पहला काम है और पूंजी विना कोई क्या खरीदेगा ? तात्पर्य यही है कि जिसके पास पूंजी हो, चाहे वह उधार को हो, घर की हो, या हिस्सेदार की हो, वही व्यापार में हाथ डाले / विना पर्याप्त जो व्यापार करना मूर्खता ही नहीं, दूसरों को फंसाने का प्रयत्न है / कहावत है-"श्रोही पूंजी खसमों खाय' अर्थात् थोड़ी पूंजी से कोई सफलता नहीं पा सकता / व्यापार करने वालों को पूंजो का ध्यान रखना पहली बात है / पूंजी की जितनी आवश्यकता है, उससे अधिक साख की है / खरीदे हुए माल की कीमत चुका देने की प्रतीति को साख कहते हैं / विना साख के प्रथम तो व्यापार शुरू ही नहीं किया जा सकता और शुरू कर भी दिया जाय तो बहुत दिनों तक चल नहीं सकता। जगत् में जितने व्यापार होते हैं, उन सब का आधार साख है / साख बड़ी भारी पूंजी है / व्यापार में जो काम साख वालों से हो सकता