________________ हिन्दी बाल-शिक्षा (67) मुख में बोले मिष्ट जो, उर में राखे घात / मीत नहीं यह दुष्ट है, तुरत त्यागिये भ्रात // 10 // सला (सलाह) राय, सम्मति.. विसन(व्यसन)बुरी भादत. वय- उम्र. गोप- गुप्त बात. बाल-- मूर्ख. चारी- चुगलखोर. तसकरी--चोर. अमली-- नशेबाज. पाठ 26 ग्राम्यजीवन. अहा! ग्राम्य जीवन भी क्या है, क्यों न इसे सब का मन चाहै ? थोड़े में निर्वाह यहा है, ऐसी सुविधा और कहा है // 1 // यहा शहर की बात नहीं है, अपनी अपनी घात नहीं है। आडम्बर का नाम नहीं है, अनाचार का काम नहीं है // 2 // यह अदालती रोग नहीं है, अभियोगों का योग नहीं है। मरे फौजदारी की नानी, दीवाना करती दीवानी // 3 //