________________ (14) सेठियाजैनप्रन्थमाला समवसरण की रचना की / भगवान् के उपदेश में किसी को आने की मनाई न थी। शास्त्रों में लिखा है कि भगवान का उपदेश सुनने के लिए जानवर भी जाते थे। भगवान के प्रभाव से वहां सांप और नेवला, बकरी तथा शेर जैसे स्वाभाविक शत्रुओं ने बैर छोड़ दिया था / सच है साक्षात् परमात्मा के सामने-किसी का बैर विरोध नहीं टिक सकता / भगवान् के उपदेश ने हाहाकार के चीत्कार की जगह सर्वत्र नीरव शान्ति की स्थापना की / लोगों के दिल दया से द्रवित हो गये / धर्म मानो जागृत हो उठा। विहार करते हुए भगवान् महावीर श्रावस्ती पहुँचे / वहां गोशाला, जो पहले भगवान् का शिष्य था और फिर उनका विरोधी हो कर अपने को तीर्थङ्कर बतलाता था , पहले से ही उपस्थित था / उसने भगवान् पर तेजोलेश्या का प्रहार किया / परन्तु जैसे ववण्डर पर्वत से टकरा कर लौट आता है, तैसे तेजोलेश्या भी वापस लौट गई और उसी के शरीर में लगी / अब मुक्त होने का समय निकट आ गया / कार्तिक की अमावस्या को पावापुरी में अन्तिम समवसरण रचा गया। प्रभु ने अन्तिम उपदेश दिया / अन्त में भगवान् सर्वोत्कृष्ट समाधि में लीन हो कर मुक्ति को प्राप्त हुए। इस समय मनुष्यों ने, देवों ने और असुरों ने बड़े ठाटवाट से दीपावलि उत्सव मनाया था / सारी पावा नगरी जले हुए दीपकों के प्रकाश से जगमगा उठी थी / तब से लेकर अबतक लोग दीपावलि का उत्सव प्रतिवर्ष मनाया करते हैं / भगवान् को मुक्ति रूपी लक्ष्मी की प्राप्ति हुई , अब मुक्त हमारी में अन्तिम समवान् सर्वोत्र